शासन की योजनाओं का उड़ रहा माखौल ग्रामीण अंचल में आजादी के बाद से अब तक ग्रामों को जोडऩे के लिए सड़क का निर्माण कार्य न किया जाना शासन-प्रशासन की योजनाओं का खुला माखौल उड़ा रहा है। वहीं अब ग्रामीण भी सड़क की खास खो बैठे है। उनका कहना है कि सरकार कुछ नहीं करती अब तो हमें तो ऐसे ही हमेशा आवागमन करना पड़ेगा।
मार्ग पर हो चुके हंै कई हादसे खजरी से नौलाखापा का यह मार्ग इतना खतरनाक हो गया है कि अब यह सड़क दुपहिया वाहन चालकों के काल का गाल बनता जा रहा है। वहीं गरीब ग्रामीण और किसान समय, दूरी और पैसे की बचत करने के लिए इस खतरनाक से अपनी जान जोखिम में डालकर गुजर रहे है। वहीं इन्हें रोकने-टोकने वाला भी कोई नहीं है। विगत 15 वर्ष पूर्व राहत कार्य के नाम पर मुरम डाली गई थी किन्तु मुरम भी नाकाफी साबित हुई और इससे भी मार्ग में कोई सुधार नहीं आया। 8 किमी लंबे खस्ताहाल मार्ग के लिए विगत वर्ष में विधायक ने महज तीन हजार रूपए की राशि प्रदान की गई थी जो कि ऊंट के मुंह में जीरा ही साबित हुई। अब देखना यह है कि आगामी समय में विधानसभा चुनाव के पूर्व क्या राजनेताओं की आंखे खुलती है और इस सड़क निर्माण को स्वीकृति दिलाने में वे कामयाब होते है या फिर ग्रामीण इस मार्ग से इसी तरह अपनी जान जोखिम में डालकर आवागमन करते रहेंगे।