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गैर जिम्मेदार अधिकारी इसलिए इस कानून पर नहीं नियंत्रण, जानें पूरा मामला

locationछिंदवाड़ाPublished: Jun 13, 2019 12:15:53 pm

Submitted by:

Dinesh Sahu

कोई निभा रहा औपचारिकता तो कोई नहीं कर रहा खानापूर्ति

- Special on Anti Child Labor Day

गैर जिम्मेदार अधिकारी इसलिए इस कानून पर नहीं नियंत्रण, जानें पूरा मामला

छिंदवाड़ा. बालश्रम कानून के संचालन को लेकर जिले के जिम्मेदार अधिकारी ही लापरवाही बरत रहे है तथा लोग भी बालश्रम होते देख 1098 हेल्पलाइन पर सूचना नहीं देते है, जिसकी वजह से कानून का पालन उचित ढंग से नहीं हो पा रहा है। आज भी होटल, कबाड़, फुटकर दुकान समेत ठेलों पर कार्य करते बाल मजदूर नजर जा जाएंगे, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों को इनकी भनक नहीं लगती है। जिम्मेदारी से मुंह मोडऩा, कानूनी प्रक्रिया से बचना अथवा भ्रष्टाचार में सांठगांठ होना इसकी वजह बताई जाती है।
– एंटी चाइल्ड लेबर डे पर विशेष

एंटी चाइल्ड डे पर पत्रिका टीम ने श्रम पदाधिकारी कार्यालय, चाइल्ड लाइन समेत नगर के विभिन्न क्षेत्रों का भ्रमण कर वास्तविकता को जानने का प्रयास किया तो कई हैरत कर देने वाले मामले सामने आए है। इसमें श्रम पदाधिकारी कार्यालय छिंदवाड़ा में बालश्रम को लेकर अधिकारियों द्वारा न तो कोई कार्रवाई की गई न ही किसी के पास इसका रिकार्ड है। जिम्मेदार अधिकारी भी अपनी सुविधा से कार्यालय पहुंचते है। विभाग के बाबू अपनी नौकरी बचाने तथा किसी भी मामले में बोलने से बचते नजर आए।
डेढ़ साल में मात्र 12 प्रकरण बनाए गए –

जिले में कार्यरत चाइल्ड लाइन तथा पुलिस विभाग की संयुक्त टीम ने विगत जनवरी 2018 से लेकर 11 जून 2019 तक मात्र 12 बालश्रम के प्रकरण बनाए, जिनमें भिक्षावृत्ति, गन्ने जूस की दुकान, होटल, किराना तथा अन्य दुकान शामिल है। इसके अलावा जिला शिक्षा केंद्र छिंदवाड़ा द्वारा बेघर तीन, अनाथ चार तथा कबाड़ बिनने वाले तीन बच्चों को शासन द्वारा संचालित आवासीय स्कूल पहुंचा है।
गरीबी और पेट की भूख बड़ी समस्या –


बालश्रम कार्यवाही में अधिकांश प्रकरण गरीबी या पेट की भूख की वजह के सामने आए है। कार्रवाई में दो बच्चे अनाथ बच्चों को चंदनगांव स्थित बालगृह में रहने भेजा गया है, जबकि अन्य बच्चे और उनके पालकों को एक या दो दिन बाद समझाइश देकर छोड़ दिया जाता है।
सामाजिक कार्यरता श्यामलराव ने बताया कि चाइल्ड लाइन और पुलिस द्वारा संयुक्त रूप से बालश्रम पर प्रकरण तैयार कर प्रस्तुत किए जाते है, लेकिन कानूनी प्रक्रिया से बचने के लिए जिम्मेदार कार्रवाई नहीं करते है। वर्ष 1991, 2001 तथा 2011 की जनगणना में प्रदेश के 5 से 14 वर्ष आयु समूह के कामकाजी बच्चें, जिनमें मुख्य एवं सीमांत कामकाजी बच्चे सम्मिलित है जो कि निम्नानुसार है –
बच्चों के कार्य का प्रकार वर्ष 1991 वर्ष 2001 वर्ष 2011


1. कामकाजी बच्चे 13.52 लाख 10.65 लाख 7.02 लाख

2. ग्रामीण क्षेत्र 00 10.00 लाख 6.08 लाख
3. शहरी क्षेत्र 00 0.65 लाख 0.92 लाख

शासन ने यह दिए है निर्देश –

1. बाल श्रमिकों की पहचान के लिए सर्वेक्षण किया जाना।
2. जोखिमपूर्ण उद्योगों में कार्य कर रहे बालकों को वहां से हटाना तथा बच्चों की शिक्षा अच्छे संस्थान में सुनिश्चित करना।
3. बालश्रम के दोषी नियोजकों से 20,000 रुपए प्रति बालक अंशदान लिया जाना तथा उस रकम को कल्याण निधि में जमा कराना।
4. बालश्रम से मुक्त कराए गए परिवार के एक वयस्क सदस्य को नियोजन में लिया जाना।
5. जब तक बालक स्कूल में पढ़ता हो तब तक कल्याण निधि से मिलने वाला ब्याज परिवार को वित्तीय सहायता के रूप में प्रदान किया जाना।

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