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छिंदवाड़ा

सिर्फ 57 मकानों में है वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

शहर में मचे जलसंकट को लेकर प्रशासन ने बारिश के पानी को जमीन में सुरक्षित रखने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को अनिवार्य रूप से बनाने के लिए कहा है।

छिंदवाड़ाMay 21, 2019 / 04:58 pm

SACHIN NARNAWRE

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सिर्फ 57 मकानों में है वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

सिर्फ 57 मकानों में है वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

पांढुर्ना. शहर में मचे जलसंकट को लेकर प्रशासन ने बारिश के पानी को जमीन में सुरक्षित रखने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को अनिवार्य रूप से बनाने के लिए कहा है। इसके लिए नगर पालिका ने सर्वे किया है जिसमें पता चला है कि दो हजार स्क्वेयर फीट वाले हजारों मकानों में से मात्र 57 मकानों ने ही इस बारिश के पानी को सहेजने के लिए जागरुकता दिखाई हैं जबकि 19 मकान मालिकों ने बनाने का कहा है और 170 मकान मालिकों ने बनाने से साफ इनकार कर दिया है।
सर्वे में जो अहम बात सामने आयी है वो पढ़े लिखे वार्डों का खुलासा करती हुई नजर आ रही है। नगर के जवाहर वार्ड जहां शहर के बड़े व्यापारी रहते है।
इस वार्ड में बड़े बड़े मकान बने है यहां रहने वाले 23 मकान मलिकों ने वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को नही बनाने की बात कही है। इस वार्ड में केवल दो मकान मालिकों ने ही सिस्टम बनाया है। इसी तरह गुरुनानक वार्ड में छह मकान, शास्त्री वार्ड में दो मकान, जलाराम वार्ड में पांच मकान, सुभाश वार्ड में चार मकान, शंकर नगर में चार मकानों में ही सिस्टम को बनाया गया है। पुराने पांढुर्ना के वार्डों में कम क्षेत्रफल वाले मकान है। यहां पर सिस्टम बनाने को जगह नहीं है परंतु जो बड़ी ईमारतें है यहां रहने वाले परिवार भी इस सिस्टम को बनाने में रुचि नहीं दिखा रहे है। मतलब साफ है कि पानी सभी को चाहिए लेकिन बचाना कोई नहीं चाहता है।
सरकारी स्कूल में नहीं बन पाया सिस्टम
बच्चों को अच्छी शिक्षा देने वाली शहर की सरकारी स्कूलों में बारिश के पानी को बचाने को लेकर कोई कार्ययोजना नहीं है। एक भी सरकारी स्कूल में सिस्टम नहीं बन पाया है जबकि एसडीएम ने चार माह पहले ही इसे लेकर आदेश दिए थे। इसके विपरीत शहर के कई निजी स्कूलों सहित कॉलेज में इस सिस्टम को बनाया गया है।
उपकोषालय और थाना को चाहिए फंड
सभी विभागों को वेतन प्रदान करने वाला उपकोषालय विभाग इस विषय में खुद फंड को तरस रहा है। यही हाल पुलिस विभाग, न्यायालय का भी है। इनके अलावा महिला एवं बाल विकास विभाग, बीआरसी कार्यालय एवं जल संसाधन विभाग सहित अन्य विभागों का भी है। सिर्फ जनपद पंचायत कार्यालय में ही पूरी तरह से सिस्टम बना हुआ है। जबकि तहसील, वन विभाग और कृशी उपज मंडी में सिस्टम का कार्य अधुरा पड़ा हुआ है। जनपद शिक्षा केन्द्र के बाहर तो एक माह से गिट्टी, रेत पड़ी हुई है मगर मजदूर नहीं मिलने से सिस्टम का काम नहीं किया जा सका है।
पार्षदों के निवास से हो सिस्टम की शुरुआत
नगर पालिका अब इस दिशा में कार्ययोजना बनाकर कार्य करना शुरू करने वाली है। यदि सभी वार्ड पार्षदों के घर से इस सिस्टम के निर्माण की शुरुआत हो तो पूरे वार्ड में जागरुकता फैलेगी। सभी नागरिक इसे आज की अहम जरूरत समझकर आगे आएं जिससे बारिश का पानी पूरी तरह से व्यर्थ न बहकर जमीन में सुरक्षित बचें। वे नागरिक जिनके यहां जलस्रोतों नलकूप, कुएं है वे इसे रिचार्ज करने के लिए इस सोख पीठ बनाकर भी गर्मियों में पानी ले सकते है। इसका लाभ पूरे मोहल्ले को भी मिलेगा।

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