Agriculture:लगभग दस हजार हैक्टेयर में हो रही है जैविक खेती
कृषि विभाग ने भोपाल पहुंचाई जिले की जानकारी
मंडी में सुरक्षित रहेंगे किसान के दस्तावेज
छिंदवाड़ा. जिले में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए विभाग किसानों को प्रेरित कर रहा है। सरकार भी अब जैविक खेती के लिए फसलों का रकबा बढ़ाने के लिए विभाग को नए कार्यक्रम और अभियान चलाने कह रहा है। जिले में हालांकि अभी इस पर बहुत काम किया जाना बाकी है लेकिन बावजूद इसके सभी विकासखंडों में कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहां किसान रासायनिक खादों का इस्तेमाल बहुत कम कर रहे है या नहीं कर रहे। परंपरागत खेती कर रहे इन किसानों की उपज हालांकि इसलिए मान्यता नहीं पा रही है क्योंकि इसके लिए सर्टिफिकेशन नहीं किया गया है। जिले के आदिवासी बहुल तामिया, जुन्नारदेव और हरई में ही दस हजार हैक्टेयर में से लगभग 3600 हैक्टैयर क्षेत्र में किसान खरीफ और रबी में मक्का, तुअर कोदो कुटकी के साथ गेहूं और चना की फसल ले रहे हैं।
डेढ सौ से ज्यादा गांवों के आठ हजार से ज्यादा किसान
कृषि विभाग ने जो सर्वे कराया है उसमें जिले के 11 विकासखंडों के 8 हजार से ज्यादा किसानों का सर्वे किया गया है। ये डेढ़ सौ गांवों से चुने गए हैं। कुल 152 गावों के 8250 किसान 7800 हैक्टेयर से ज्यादा रकबे में ये फसल ले रहे हैं। इस संबंध में भोपाल से जिले के संबंध में जानकारी मंगाई गई थी। कृषि विभाग ने यह जानकारी गए दिसंबर महीने में ही भोपाल पहुंचाई है।
आदिवासी क्षेत्रों के किसान ज्यादा जागरूक
देखा जाए तो आदिवासी क्षेत्र के किसान उर्वरकों के मामले में ज्यादा सजग दिखाई दे रहे हैं। यहां पर वैसे ही वे उथली जमीन पर पैदावार लेते हैं। वे जरूरत के हिसाब से ही रासायनिक खाद का उपयोग करते हैं या बिल्कुल नहीं करते। कोदो कुटकी, सरसों के साथ अरहर, आदि की फसलों में भी जरूरत के मुताबिक ही दवा छिडकते हैं यही कारण है कि उनका उत्पादन जैविक की तरह हो रहा है। तामिया में सबसे ज्यादा 24 गावों के 1350 किसान,हरई के 20 गावों के 1125 किसान ऐसी खेती कर रहे हैं।
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