छिंदवाड़ा

MP POLITICS: इस सियासी शख्सियत पर भाजपा और कांग्रेस दोनों की नजर

MP Loksabha 2024 News- दिलचस्प मोड़ पर है छिंदवाड़ा की सियासत, कमलनाथ के खास सिपहसालार हैं दीपक सक्सेना..। जानिए किसके साथ जाएंगे दीपक सक्सेना…।

छिंदवाड़ाMar 28, 2024 / 03:36 pm

Manish Gite

देश की निगाह छिंदवाड़ा पर टिकी…। कमलनाथ के बेहद करीबी दोस्त पर भाजपा और कांग्रेस की निगाह।

 

छिंदवाड़ा के लोकसभा चुनाव में एक नई सियासी शख्सियत सामने आई है, जिसका नाम दीपक सक्सेना है। दीपक सक्सेना छिंदवाड़ा के सबसे कद्दावर नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के खास सिपहसालार रहे हैं। दीपक ऐसे शख्स हैं जिन्होंने कमलनाथ के लिए अपनी विधायकी छोड़ दी थी। कमलनाथ को उपचुनाव लड़वाने के लिए विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था। दीपक 21 मार्च 2024 को उस समय राजनीति में उभर को सामने आए, जब उन्होंने कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी को लिखे पत्र में इस्तीफे का कारण व्यक्तिगत बताया। सक्सेना ने कहा कि वे सन 1974 से कांग्रेस के सदस्य हैं। सन 1990 से सात बार विधानसभा चुनाव लड़ा एवं को-ऑपरेटिव बैंक का अध्यक्ष रहा। मप्र कांग्रेस कमेटी में भी दिग्विजय सिंह के साथ पांच वर्ष तक सह-सचिव पद पर रहा। मुझ जैसे किसान परिवार के छोटे व्यक्ति पर स्व. राजीव गांधी, सोनिया गांधी, कमलनाथ ने विश्वास कर दायित्व दिया। इसके लिए वे सदैव कांग्रेस पार्टी के लिए ऋणी रहेंगे। वर्तमान में व्यक्तिगत परेशानियों के कारण कांग्रेस पार्टी की जवाबदारी निर्वहन नहीं कर पा रहे हैं। इसी दिन सक्सेना के बेटे अजय भाजपा में शामिल हो गए, लेकिन दीपक ने कहा कि वह भाजपा में शामिल नहीं हो रहे हैं। यह राजनीतिक घटनाक्रम इस दिन शांत हो गया।

 

 

25 मार्च 2024 को कमलनाथ सह परिवार छिंदवाड़ा पहुंचे। कमलनाथ परिवार के साथ दीपक के घर जाने वाले थे। कमलनाथ के रोहना पहुंचने से पहले ही दीपक उनके शिकारपुर स्थित निवास पर पहुंचे। बंद कमरे में दोनों के बीच बातचीत हुई। कमलनाथ से मुलाकात के बाद दीपक ने कहा कि नकुलनाथ के नामांकन रैली में शामिल होंगे। 26 मार्च 2024 को जब नकुलनाथ का फॉर्म भरा गया तो प्रस्तावक के रूप में दीपक का नाम सामने तो आया पर रैली में शामिल नहीं हुए।

 

 

27 मार्च 2024 को छिंदवाड़ा का राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदला। भाजपा प्रत्याशी का नामांकन भरवाने आए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा, कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और प्रहलाद पटेल जैसे कद्दावर नेताओं के साथ पूरी भाजपा दीपक के घर रोहना पहुंच गई। नाश्ता पानी किया। काफी देर तक बातचीत हुई। जब भाजपा की टीम वहां से चली गई तो दीपक ने कहा कि मैं तो कमलनाथ के साथ हूं। अब सब की निगाहें इस बात पर है कि आगे क्या होगा।

 

 

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वर्ष 1974 से कांग्रेस के सदस्य रहे दीपक सक्सेना ने वर्ष 1980 में कमलनाथ के छिंदवाड़ा आते ही जुगलबंदी की। कमलनाथ के साथ रहने पर सक्सेना को जिला सहकारी बैंक अध्यक्ष, वर्ष 1993, 1998, 2008 और 2018 में विधायक बनने का अवसर मिला। दिग्विजय सिंह सरकार के समय दो बार पीएचई मंत्री रहे। कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष और सचिव का दायित्व भी संभाला। वर्ष 2018 में कांग्रेस सरकार बनने पर विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर बने।

 

 

2019 में जब कमलनाथ सीएम बने तो उनके उपचुनाव लडऩे के लिए अपनी विधायकी सीट छोडऩे वाले सक्सेना ही थे। एक समय यह भी था कि कमलनाथ जब दिल्ली-भोपाल से छिंदवाड़ा आते थे तो हवाई पट्टी से उनकी कार के ड्राइवर सक्सेना ही होते थे। छिंदवाड़ा से लेकर भोपाल और दिल्ली की राजनीति में दीपक सक्सेना को कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के सबसे करीबी नेताओं में गिना जाता है। उन्होंने संगठन में लंबे समय तक काम किया। संगठन और सरकार में कई बड़ी रणनीति को अंजाम देने की जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। स्थानीय स्तर पर कमलनाथ, नकुलनाथ के बाद वे तीसरे नंबर के नेता माने जाते रहे।

 

 

कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ के दूसरी बार लोकसभा चुनाव के मैदान में उतरने के बाद से रिश्तों में खटास को देखा गया। इस बीच दीपक सक्सेना के छोटे पुत्र अजय ने यह कहकर भाजपा का दामन थाम लिया कि उनके पिता का पिछले छह साल से कांग्रेस में अपमान हो रहा है। ये उनसे बर्दाश्त के बाहर है।

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