राजस्व भूमि पर लगाए गए जंगल पर अब तस्करों की नजर पड़ गई है। यहां से रात में आरा व कुल्हाड़ी से पेड़ों का काट तक ले जाया जा रहा है। आरा व कुल्हाड़ी की आवाज सुनकर गांव के लोग जंगल में जाना चाहते हैं पर हथियार बंद तस्करों के डर से शोर मचा कर भगाने का प्रयास करते हैं। इसके बाद भी यहां से करीब 600 से 700 पेड़ तस्करों की भेंट चढ़ चुके हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि लगातार प्रशासन से पेड़ों की कटाई रोकने की मांग की जाती रही है। राजस्व भूमि होने से वन विभाग इस मामले में रुचि नहीं लेता। गांव वाले चाहते हैं कि यहां तक पक्की सडक़ बने। जंगल की सुरक्षा के लिए चौकीदार की व्यवस्था हो। नहीं तो तस्कर इस जंगल को उजाड़ देंगे।
उजड़ते देखना पीड़ादायक
हतलेवा का जंगल गांव की सम्पति है। गांव के प्रत्येक आदमी का योगदान है। इसे उजड़ते देखना पीड़ादायक है। प्रशासन तस्करों से सख्ती से निपटे।
-विनोद वस्त्राणे, पूर्व सरपंच, हतलेवा यहीं खेलते-कूदते बड़े हुए
हमारे परिजन ने पौधे लगाए थे। इन पेड़ों की छांव में खेलते-कूदते बड़े हुए हैं। जंगल को बचाने के लिए गांव के युवा भी लगातार प्रयास कर रहे हैं।
-मुकेश पंवार, सदस्य जन अभियान परिषद
ग्राम हथलेवा में राजस्व भूमि पर सागौन पेड़ों की कटाई के मामले की जांच पटवारी कर रहे हंै। पूछताछ में आरोपियों का नाम सामने आते ही प्रकरण दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी।
– महेश अग्रवाल, प्रभारी तहसीलदार मोहखेड़