आत्मा की कोई जाति या नाम नहीं होता
बाल ब्रह्मचारी इतिहास रत्नाकर बसंत महाराज
आत्मा की कोई जाति या नाम नहीं होता
अमरवाड़ा . 16 वी शताब्दी के महान अध्यात्मवादी संत तारण तरण मंडलाचार्य महाराज द्वारा विरचित 14 ग्रंथाधिराज में से एक महीने प्रवास पर नगर में आए बाल ब्रह्मचारी इतिहास रत्नाकर बसंत महाराज ने मंदिर जी में तत्व चर्चा के दौरान कहा कि आत्मा की कोई जाति या नाम नहीं होता।
उन्होंने कहा कि आत्मा का अनाम तत्व है चेतन जाति वाला है लेकिन नाम और जाति या देह से संबंधित होती है। जिनमें विवेक वान को नहीं उलझाना चाहिए क्योंकि नाम और जाति के बंधन से आत्मा का कल्याण नहीं होता। उन्होंने आगे बताया कि अहंकार सबसे बड़ी दीवार है जिसके कारण घट में ही विराजमान परमात्मा के दर्शन नहीं होते अहंकार में झूलने वाला निराकार को भूलता है और निराकार में झूलने वाला अहंकार को भूल जाता है, क्योंकि एक म्यान में दो तलवारें नहीं रहती हैं।
शंकाओं का समाधान करते हुए बसंत जी ने बताया पक्षी दो पंखों से आकाश में उड़ता है इसी प्रकार साधक को चैतन्यता के आकाश में बिहार करने के लिए बोध और बहरा के दो पंख चाहिए बोध के बिना बैराग्य ओर वैराग्य के बिना बौध पूर्णता कार्यकारी नहीं हो पाते। इस अवसर पर समाज के सभी बंधु महिलाएं बच्चे युवा नगर वासी उपस्थित रहे।
Home / Chhindwara / आत्मा की कोई जाति या नाम नहीं होता