दरअसल लम्बे समय से बीमार चल रहे तामिया क्षेत्र के देलाखारी निवासी सुमरलाल (60) को परिजन गम्भीर हालत में दोपहर को जिला अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां डॉक्टर ने औपचारिकता पूरी कर मरीज को मेल सर्जिकल वार्ड में भर्ती होने की सलाह दे दी, लेकिन मरीज को स्टे्रचर नहीं मिल पाई न ही वार्ड ब्वॉय। परिजन पीडि़त को पैदल ही वार्ड तक ले गए। ऐसे मामले आए दिन देखने को मिलते हैं। शिकायत पर जिम्मेदार आधिकारी कार्रवाई की बात तो कहते हैं लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।
लैब में नहीं हो रही ब्लड जांच
जिला अस्पताल की पैथालॉजी लैब में भी रक्त की विभिन्न जांच नहीं हो पा रही है। विभाग किट खत्म होना वजह बताता है। वहीं ब्लड जांच को लेकर प्रतिदिन अपडेट जानकारी सूचना फलक पर दर्शाने के निर्देश कलेक्टर द्वारा दिए गए थे, लेकिन विभाग इसका भी पालन नहीं कर रहा है। ऐसे में मरीजों को निजी लैब का रुख करना पड़ता है। इतना ही नहीं रक्तदाताओं को विभाग की ओर से रिफ्रेशमेंट भी नहीं दिया जा रहा है।
एंटी रेबीज इंजेक्शन की समस्या
इधर औषधि वितरण कक्ष में दवाओं की कमी अभी भी बनी हुई है। श्वान के काटने पर मरीजों को लगाए जाना वाला एंटी रेबीज इंजेक्शन (एआरवी) की आपूर्ति पर्याप्त नहीं हो पा रही है। प्रतिदिन ऐसे 25 से 30 मरीजों को इंजेक्शन के लिए परेशान होना पड़ रहा है, जबकि एंटी रेबीज इंजेक्शन का तीन माह का भंडारण होना अनिवार्य है।