scriptwomen: सख्त कानून फिर भी नहीं थमा महिलाओं पर अत्याचार का सिलसिला | Strict law still did not stop the process of atrocities on women | Patrika News
छिंदवाड़ा

women: सख्त कानून फिर भी नहीं थमा महिलाओं पर अत्याचार का सिलसिला

समाज में महिलाओं को प्राथमिकता और महिला सुरक्षा केवल स्लोगन और भाषणों तक ही सीमित है।

छिंदवाड़ाNov 30, 2021 / 12:08 pm

babanrao pathe

women: सख्त कानून फिर भी नहीं थमा महिलाओं पर अत्याचार का सिलसिला

सख्त कानून फिर भी नहीं थमा महिलाओं पर अत्याचार का सिलसिला

छिंदवाड़ा. समाज में महिलाओं को प्राथमिकता और महिला सुरक्षा केवल स्लोगन और भाषणों तक ही सीमित है। आज भी समाज में महिलाओं की उपेक्षा से लेकर उन पर होने वाले अत्याचार में कोई बड़ी कमी दर्ज नहीं हुई है। महिला सुरक्षा को लेकर पुलिस विभाग में महिला अधिकारी और कर्मचारियों को भी विशेष तौर पर नियुक्ति किया जा रहा है। महिला थाना और महिला उर्जा डेस्क संचालित की जा रही है, क्योंकि महिलाओं से सम्बंधित अपराधों में कमी नहीं आ रही है।

पुलिस अपने स्तर पर महिला सम्बंधित अपराधों को रोकने के हर संभव प्रयास करती है, लेकिन यह काफी नहीं है, क्योंकि हर समय और हर जगह पुलिस नहीं पहुंच सकती। महिलाओं के प्रति सम्मान का नजरिया समाज में आना चाहिए। हर व्यक्ति के दिल और दिमाग में महिला के प्रति सम्मान होना चाहिए तब पुलिस और सरकार की मंशा पूरी होगी। सरकारी स्तर पर किए जाने वाले तमाम प्रयास अच्छे हैं, लेकिन उनका सार्थक परिणाम नहीं आ रहा है इसके पीछे का बड़ा कारण है समाज का शिक्षित वर्ग भी महिलाओं को सम्मान के नजरिए से नहीं देखता। महिला सम्बंधित अपराधों में कमी लाने या फिर उन्हें रोकने के लिए सरकारी तंत्र के साथ ही समाज को भी कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा होना होगा। अगर ऐसा हुआ तो यकीनन बहुत कम समय में ही बलात्कार, छेड़छाड़, दहेज हत्या नाबालिग का अपहरण जैसी गम्भीर वारदातों में कमी दर्ज होने लगेगी। वर्तमान में केवल पुलिस अपने प्रयासों से इस तरह के अपराधों को रोकने की कोशिश करती है।

लगभग तीन सौ अपराध घटित
महिलाओं से सम्बंधित गम्भीर अपराधों की बात करें तो एक वर्ष में जिले के भीतर लगभग 300 अपराध घटित होते हैं। इनमें बलात्कार, छेड़छाड़, हत्या, दहेज हत्या एवं नाबालिग बच्चियों का अपहरण शामिल है। पुलिस अपराध रोकने के लिए महिला स्टॉफ के साथ पुलिस के अन्य स्टॉफ का सहयोग लेती है, लेकिन समाज में जागरुकता नहीं होने के कारण पुलिस के प्रयासों से अच्छा परिणाम नहीं मिल पाता है। वहीं दूसरी ओर महिलाओं से जुड़े अपराधों की सुनवाई के लिए जिले में पर्याप्त महिला पुलिस अधिकारी एवं कर्मचारी भी मौजूद है।

जिले में महिला पुलिसकर्मी की स्थिति
पद संख्या
आरक्षक 120
प्रधान आरक्षक 23
उपनिरीक्षक 17
निरीक्षक 5
डीएसपी 1

जागरूकता जरूरी
पुरुष प्रधान समाज होने के कारण कहीं न कहीं महिलाओं पर अत्याचार होता ही है। सामांजस्य में भी कमी आ रही है। पहले छोटे-मोटे विवाद परिवार के सदस्य या फिर रिश्तेदार ही सुलझा देते थे, लेकिन अब हर मामले में महिलाएं थाना और चौकी पहुंच रही है। समाज को जागरूक करने की भी आवश्यकता है।
दिनेश बडही, सेवानिवृत्त, पुलिस निरीक्षक

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