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छिंदवाड़ा

दो गुटों में बट गए होस्टल के छात्र, कमरे में बंद कर दिखाई हैवानियत

आदिवासी छात्रावास और आश्रम के बच्चों में मारपीट, बच्चों के विवाद से अव्यवस्थाओं की पोल खुली

छिंदवाड़ाAug 06, 2018 / 11:22 am

Dinesh Sahu

दो गुटों में बट गए होस्टल के छात्र, कमरे में बंद कर दिखाई हैवानियत

दो गुटों में बट गए होस्टल के छात्र, कमरे में बंद कर दिखाई हैवानियत

छिंदवाड़ा. आदिवासी विकास विभाग अंतर्गत संचालित बालक छात्रावास और आश्रम में रहने वाले छात्रों के बीच विवाद हो गया। मारपीट में दर्जनों छात्रों को चोट आने पर कुछ का उपचार जिला अस्पताल में कराया गया तथा कुछ को परिसर में ही उपचार दिया गया। बताया जाता है कि छात्रों में झगड़ा विगत तीन दिन से चल रहा था तथा तनाव बढऩे के बाद मामला रविवार को प्रकाश में आया तो आश्रम-छात्रावास के अधीक्षक एक-दूसरों पर आरोप लगाकर दोषी ठहराने लगे।
विवाद : पांच छात्र निष्कासित, अधीक्षकों के विरुद्ध विभागीय जांच के निर्देश


इधर, दो घंटे पालकों के साथ चर्चा के बाद सहायक आयुक्त शिल्पा जैन ने पांच बच्चों को छात्रावास से निष्कासित कर दिया तथा अधीक्षकों के खिलाफ विभागीय जांच के निर्देश दिए। जानकारी के अनुसार नगर के मानसरोवर बस स्टैंड के पीछे आदिवासी विकास विभाग अंतर्गत एक ही परिसर में संचालित अनुसूचित जाति बालक आश्रम, नवीन आदिवासी बालक आश्रम, जूनियर बालक छात्रावास तथा सामान्य बालक छात्रावास में प्राथमिक तथा माध्यमिक स्कूल के बालक एक छोटी सी गेंद को लेकर आपस में भिड़ गए। झगड़ा दिन और रात दोनों समय में हुआ, इसके बाद भी विभागीय अधिकारियों ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया।

परिजन ने लगाए आरोप


बच्चों के विवाद को लेकर छात्रावास-आश्रम पहुंचे परिजन में काफी आक्रोश दिखा। उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारियों की लापरवाही के चलते छात्रावास-आश्रम के बच्चों में विवाद हो रहा है। बच्चों के सिर तथा शरीर के अन्य भागों पर गम्भीर चोटे आई, फिर भी विभागीय अधिकारियों ने उन्हें सूचित नहीं किया। इस दौरान उन्होंने बताया कि यदि बच्चों की सुरक्षा को लेकर प्रशासन संतोषजनक निर्णय नहीं लेगा तो वेअपने बच्चों को नहीं पढ़ाएंगे।

खेल मैदान बड़ी वजह


बता दें एक ही परिसर में चार-चार छात्रावास एवं आश्रम संचालित होते हंै। जहां लगभग 250 बालक निवास करते हैं। उनके खेलने के लिए परिसर में एक ही छोटा मैदान है। बच्चे एक-दूसरे के साथ खेलने की जगह अपने-अपने समूह में खेलते हंै तथा इधर-उधर गेंद जाने से अक्सर विवाद होते रहते हैं। बच्चों के बीच हुई लड़ाई भी एक गेंद को रखने को लेकर होना बताई जा रही है।

रात में नहीं रुकते अधीक्षक


शासन के नियमानुसार छात्रावास और आश्रम में सुरक्षा समेत अन्य व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी अधीक्षक की होती है। इसके लिए उन्हें रात के समय भी बच्चों के साथ ठहरना अनिवार्य है, लेकिन यहां के छात्रावास-आश्रम में कोई अधीक्षक रात में नहीं रुकता बल्कि चपरासी के भरोसे संस्था छोड़ दी जाती है। इसके अलावा अधीक्षक, शिक्षक व अन्य कर्मचारी पिछले कई सालों से यहां जमे हुए हैं।
जनप्रतिनिधि, संगठन अध्यक्ष एकत्रित


मामले की सूचना लगते ही स्थानीय जनप्रतिनिधि पप्पू यादव, छात्रावास संगठन अध्यक्ष मंशाराम उइके (जुन्नारदेव), सरपंच संघ अध्यक्ष भी मौके पर पहुंचे तथा मामले में उचित कार्रवाई के लिए अधिकारियों से मांग की। कहा जा रहा है कि एक ही परिसर में चार-चार छात्रावास, आश्रम व स्कूल संचालित होता है। क्षमता से अधिक संख्या होने से आए दिन तनाव की स्थिति निर्मित होती है।

सुरक्षा में चूक

फिल्मों की तरह बच्चे विवाद करते रहे तथा एक-दूसरों को चोट पहुंचाने के उद्देश्य से लोहे ही रॉड, पत्थर तथा डंडे चलाए जा रहे थे। इतना ही नहीं छात्रावास और आश्रम में रहने वाले बच्चों का दो गुट बन गया तथा दोनों गुट ने एक-एक छात्र को कमरे में काफी देर तक बंद रखा। इसके अलावा छोटे बच्चों को दीवार पर पटकना, उनकी पेटी तोडऩे तक की कोशिश की गई। बताया जाता है कि बच्चों की सुरक्षा के लिए तीन सुरक्षा कर्मी तैनात हैं। इसके बाद भी वे आपस में लड़ते रहे।

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