54 हजार परिवार हैं निर्भर
विभागीय जानकारी के अनुसार इस साल 2023 के मई महीने में तेंदूपत्ता संग्राहकों को संग्रहण में तीन हजार रुपए मानक बोरा की मजदूरी दी गई थी। राज्य सरकार की घोषणा के बाद वर्ष 2024 में जब तेंदुपत्ता की तुड़ाई होगी, तब मजदूरी को एक हजार रुपए अधिक चार हजार रुपए मानक बोरा की दर से मजदूरी का भुगतान होगा। देखा जाए तो जिले की तीन वनमण्डलों में 54 हजार परिवार तेंदूपत्ता संग्राहकों से जुड़े हैं। हर साल तेंदूपत्ता संग्रहण 45 हजार मानक बोरा है।
जिले के 11,815 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में 3.51 लाख हेक्टेयर यानी 29.73 प्रतिशत हिस्से में जंगल है। इनमें 53 वानिकी प्रजातियां पाई जाती हैं। राज्य शासन ने वर्ष 2019 में 32 लघु वनोपजों की खरीदी का सरकारी समर्थन मूल्य घोषित किया था। खरीदी करने 24 अपनी दुकानों का निर्माण भी किया गया है। मैदानी स्तर पर इन लघु वनोपजों के दाम नहीं बढ़ाए गए हैं। इससे आदिवासी वर्ग इसे कम कीमत पर बिचौलिए को बेचने मजबूर हैं। इसके चलते लघु वनोपज का 99 प्रतिशत व्यापार बिचौलियों के हाथों में हैं। वे वनवासियों से अत्यंत कम मूल्य पर वनोपज खरीदते हैं। इससे कभी भी इन लोगों की आर्थिक स्थिति सुधर नहीं रही है। कीमती वन संपदा होने पर भी गरीब बने हुए हैं।
![Minor forest produce List](https://cms.patrika.com/wp-content/uploads/2023/12/28/minor_forest_produce_list_8655850-m.jpg)
आदेश आ गए हैं
तेंदूपत्ता संग्रहण में अब चार हजार रुपए मानक बोरा की मजदूरी के आदेश आ गए हैं। इसका लाभ मई 2024 में होनेवाले तेंदूपत्ता संग्रहण में मजदूरों को मिलेगा। इससे लघु वनोपजों का इंतजार हैं।
-ईश्वर जरांडे, डीएफओ पश्चिम वनमण्डल