इस कीट से रहे सावधान वरना हो सकती है मुसीबत
कृषि वैज्ञानिक आए खेतों की जांच करने ,आर्मीवर्म कीट का प्रकोप,
इस कीट से रहे सावधान वरना हो सकती है मुसीबत
छिंदवाड़ा। जिले में मक्का की फसल पर नए कीट का प्रकोप देखा जा रहा है यह किस फसल को बुरी तरह बर्बाद कर रहा है।आगामी खरीद के सीजन में जब देश के विभिन्न प्रदेशों में जब मक्का बहुत बड़े क्षेत्र में बोया जाता है इस समय इस कीट के प्रकोप को कैसे रोका जाए वैज्ञानिकों को यह चिंता सता रही है।जिले में इस समय गर्मी में बोई जाने वाली मक्का भी कुछ क्षेत्रों में बोली गई है इन फसलों पर भी मक्का फॉल आर्मी वरम कीट का प्रकोप कहीं फसल को बर्बाद तो नहीं कर रहा है ।इस संबंध में वैज्ञानिकों का एक दल निरीक्षण करने छिंदवाड़ा पहुंचा।मंगलवार को वैज्ञानिकों और कृषि विशेषज्ञों की सात सदस्यीय दल चौरई क्षेत्र में पहुंचा। लगभग 5 घंटे के निरीक्षण के बाद विशेषज्ञों के दल ने पाया कि इस कीट का प्रकोप गर्मी में बोई गई मक्का पर भी हुआ है। इस कीट का प्रकोप आगामी खरीफ में बोए जाने वाले मक्का पर और ज्यादा हो सकता है इसे कैसे रोका जाए ,कीट के प्रकोप का प्रतिशत क्या है और इससे बचने के लिए किसानों को किस तरह की सावधानी बरतनी चाहिए इस बारे में भी चर्चा की गई।
वैज्ञानिकों ने जांच के बाद जो प्रतिवेदन दिया है उसमें इस बात को कहा है कि आगामी खरीफ सीजन में जिले के किसानों को इस कीट के प्रति गंभीर होना पड़ेगा। मक्का बीज के उचित प्रबंधन के बाद ही मक्का बोने की बात उन्होंने कही। जांच करने आए वैज्ञानिकों का कहना है कि पिछले साल 2018 में तेलंगाना कर्नाटक आंध्र प्रदेश राजस्थान और मध्य प्रदेश के कई क्षेत्रों में इस कीट का प्रकोप देखा गया था उन्होंने बताया कि ग्रीष्मकालीन मक्के में भी इस कीट का प्रकोप देखा गया है। जिन क्षेत्रों में फरवरी में मक्का की बुवाई हुई है वहां प्रकोप ज्यादा मिला जबकि दिसंबर में बोई गई फसल में इस कीट का प्रकोप कम देखा गया।
यह वैज्ञानिक थे शामिल
चौरई के बांका नागपुर में नवीन रघुवंशी के लगभग 12 एकड़ में लगी फसल को देखने के लिए 7 सदस्य दल गया था इसमें प्रोफेसर डॉ राजेश पचौरी डॉ अमित शर्मा वैज्ञानिक डॉक्टर ए सी भंडारकर ,वैज्ञानिक पौध रोग डॉक्टर आरडी बारपेटे ,वैज्ञानिक डॉ पी एल एम्बुलकर , वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ विजय पराडक़र और कृषि विभाग के उप संचालक जे आर हेडाऊ शामिल थे।
गंभीरता से लें किसान
जांच करने के लिए आए वैज्ञानिकों ने बताया कि इस कीट के प्रकोप की संभावना अगले खरीफ फसल में ज्यादा देखी जा सकती है इसलिए किसानों को चाहिए कि बुवाई से पहले वे उचित कीट प्रबंधन करें और मामले को गंभीरता से लेकर वैज्ञानिकों की सलाह के बाद मक्का की बोवनी करें। किसानों को मक्का किस समय पर बोनी करने कहा गया है मानसून वर्षा के साथ ही मक्का को बोले कहा गया है संतुलित उर्वरक को का अनुशंसित मात्रा में विशेषकर नत्रजन की मात्रा का प्रयोग ज्यादा न करने के लिए किसानों को कहा गया है इसी के साथ जहां खरीफ की मक्का ली जाती है वहां किसानों को गर्मी में मक्का नाले ने कहा गया है यदि मक्का किसान नहीं बोते हैं तो अंतर वर्तिय फसल के रूप में उन्हें उड़द और मूंग लगाने की सलाह दी जा रही है।
इन दवाओं के छिडक़ाव की सलाह
वैज्ञानिकों की टीम ने किसानों को कहा है कि मक्का बोने के बाद प्रारंभिक अवस्था में लकड़ी का बुरादा राख और बारीक रेत पौधे की उंगली में डाल सकते हैं। इसके साथ ड्ढह्ल1 विवेरिया, बीसीमाना, ब्लूवेंडा माइट, स्पाइनो सेड, इथीफैनपॉक्स, एनीमा मेक्टिन, बैंजोइट, कार्बो क्यूरॉन दवा 15 से 20 दिन के अंतराल में फसलों को देने की सलाह दी गई है