वर्ष 2009 में थाना चौरई के ग्राम गोपालपुर में पंचायत चुनाव हुआ था जिसमें मृतक राजेश ठाकुर की पत्नी व आरोपी प्रदीप शर्मा की मामी प्रत्याशी के पद पर खड़े थे। इस वजह से दोनों पक्ष के बीच में रंजिश बढ़ गई थी। दोनों पक्ष के बीच मारपीट होती रही। दोनों पक्ष के खिलाफ अपराध भी पंजीबद्ध किए जाते रहे। कुछ प्रकरणा में सजा भी सुनाई गई। विवाद के चलते प्रदीप शर्मा ने राजेश की हत्या के लिए योजना बनाने लगा। मुख्य आरोपी प्रदीप शर्मा ने 7 सितम्बर 2011 को राजेश की हत्या करने के लिए विजय उर्फ मोने व संजय नामदेव के साथ आपराधिक षडयंत्र रचकर उन्हें रुपए देकर राजेश के खेत में टावर लगाने का प्रलोभन फोन पर दिया। आरोपियों के प्रलोभन में आकर 10 सितम्बर 2011 को राजेश ठाकुर छिंदवाड़ा पहुंचा। नागपुर रोड स्थित पवार टी हाउस के सामने टावर लगाने को लेकर चर्चा की गई और खेत में टावर लगाना तय होने पर राजेश ठाकुर को जबरन रबड़ी खिलाई गई जिसमें विषाक्त पदार्थ मिला हुआ था। राजेश ठाकुर यहां से बस स्टैंड पहुंचा और उसके उल्टियां होने लगी। निजी क्लीनिक फिर जिला अस्पताल और यहां से नागपुर रैफर किया। नागपुर में इलाज के दौरान राजेश की मौत हो गई। कोतवाली थाना पुलिस ने हत्या का प्रकरण पंजीबद्ध किया था।
तीन आरोपी दोषसिद्ध, तीन दोषमुक्त
न्यायालय ने अभियोजन और बचाव पक्ष के तर्कों को सुनने के उपरांत मुख्य आरोपी प्रदीप शर्मा को आजीवन कारावास एवं 1 लाख रुपए अर्थदंड से दंडित किया है। संजय नामदेव, विजय उर्फ मोनू ब्रम्हभट्ट को पांच-पांच हजार रुपए अर्थदंड एवं आजीवन कारावास से दंडित किया है। प्रकरण में शामिल रहे राहुल उर्फ सोनू बोरकर, गुड्डा उर्फ नरेश रघुवंशी एवं सुधीर शर्मा को 302 एवं 120 बी में दोषमुक्त किया गया। आरोपी प्रदीप शर्मा से ली जाने वाली अर्थदंड राशि 1 लाख रुपए मृतक राजेश सिंह ठाकुर के पिता इंदरसिंह ठाकुर को देने के आदेश न्यायालय ने दिए हैं। प्रकरण में शासन की ओर से अपर लोक अभियोजक सुनी सिंधिया ने पैरवी की है।