सैनिकों की मनोव्यथा को समझने की कोशिश
दो बेहतरीन प्रस्तुतियों के साथ तीन दिवसीय नटरंग २०१९ का समापन
सैनिकों की मनोव्यथा को समझने की कोशिश
छिंदवाड़ा. सतपुड़ा लॉ कालेज के सभागृह में रविवार को नाटक की दो शानदार प्रस्तुतियां फिर दर्शकों को देखने को मिलीं। पहली प्रस्तुति जयपुर के ताम्हणकर थिएटर एकेडमी की थी। ‘प्रहरी’ नाम के इस नाटक में सैनिकों की मनोव्यथा का चित्रण किया गया था। दो देश की सीमाओं पर केंद्रित इस नाटक में दिखाया गया कि फौजी सबसे पहले इंसान होता है। अपनी संवदेनाओं, इच्छाओं को मारकर वह राष्ट्रहित के लिए सबकुछ कुर्बान कर देता है। यह आसान नहीं होता जब घर, परिवार, समाज, सुख से दूर सबसे पहले अपने देश की सीमाओं की चिंता करता है।
वरिष्ठ रंगकर्मी हेमचंद्र ताम्हणकर द्वारा लिखित इस नाटक के संवाद दर्शकों को अंत तक बांधे रहे। अर्शिया परवीन के निर्देशन में हुए इस नाटक मे मुख्य भूमिकाओं में हेमचंद्र ताम्हणकर, हमीद मियां के किरदार में दिखे। इसके अलावा गुरिंदर लांबा, अर्शिया परवीन, आशुष गुप्ता ने भी शानदार अभिनय किया। नाट्य समारोह की अंतिम प्रस्तुति दिल्ली के अंतरिक्ष नाट्यग्रह के कलाकारों ने ‘कुछ दिन और’ शीर्षक से दी। यह नाटक छूटते समय को पकडऩे की जद्दोजहद को दिखाता है। समय तेजी से भाग रहा है, हमने भी रफ्तार पकड़ ली है आगे बढ़ रहे हैं कुछ और, कुछ नया पाने के लिए जो हमारा है हमारे आसपास का है उस सबसे महत्वपूर्ण को तो हम छोड़ते जा रहे हैं। किसी मोड़ पर हमे यह महसूस होता है। अक्षय पवार के लिखे और निर्देशित नाटक में युवा रंगकर्मियों ने अपने अभिनय की छाप मंच पर छोड़ी।
तीन दिनी इस समारोह में पांच राज्यों के रंगमंडलों ने अपनी प्रस्तुतियां दी। इस बार मंच-सज्जा के साथ ध्वनि और प्रकाश की व्यवस्थाएं और अच्छी दिखीं जो मंचीय नाटकों के लिए बेहद जरूरी व प्रभावी होती हैं। सबसे सुखदायी बात यह रही कि छिंदवाड़ा में नाटक के मंचन को अब दर्शक मिल रहे हैं। भविष्य के लिए इस क्षेत्र के लिए यह अच्छी संभावनाओं को दर्शाता है। तीन दिन के इस समारोह में ओम से जुड़े वरिष्ठ रंगकर्मी विजय आनंद दुबे, संस्था के युवा और प्रतिभाशाली शिरीन आनंद दुबे के साथ उनकी टीम ने खूब मेहनत की।
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