18 मई को आया था पहला बच्चा
मई 2021 को गुलाबरा में एक आठ माह का बच्चा पुलिस को मिला था। उसे कुछ दिन जिला अस्पताल में भी रखा गया था। इसके बाद 18 मई को बच्चे के लालन-पालन के लिए शिशु गृह को सौंपा दिया गया।शिशु गृह संचालिका का कहना है कि बच्चा पैदायशी बीमार था। वह दूध नहीं पी पा रहा था। वहीं दूसरा लगभग एक साल का बच्चा सौंसर में मिला था। 26 अक्टूबर 2021 को बाल कल्याण समिति ने इस बच्चे को शिशु गृह को सौंपा था। बीमारी की वजह से आए दिन बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा था। 4 नवंबर को पहले एवं 6 नवंबर को दूसरे बच्चे की मौत जिला अस्पताल में इलाज के दौरान हुई।
छह साल पहले भी हुई थी मौत
लगभग छह साल पहले भी शिशु गृह के एक बच्चे की मौत हो चुकी है। उस समय भी लापरवाही उजागर हुई थी, लेकिन कुछ दिन बाद मामला शांत हो गया।
शासन उठाती है खर्च
शिशु गृह में अनाथ बच्चों का लालन-पालन का पूरा खर्च सरकार वहन करती है। बच्चों के लिए बकायदा एक डॉक्टर भी नियुक्त किया जाता है। इसके अलावा उनके देखभाल के लिए भी नियुक्ति होती है। सभी खर्चा सरकार द्वारा ही वहन किया जाता है।
मैंने कई बार कहा था कि बच्चे बीमार हैं। बच्चे लगातार डॉक्टर के निगरानी में थे। बच्चे की बीमारी की जानकारी हमने बाल कल्याण समिति, कलेक्टर, महिला बाल विकास, बाल आयोग को दी थी। पत्र लिखकर कहा था कि बच्चे बहुत बीमार हैं। इन्हें वहां स्थांनातरित किया जाए जहां बच्चों का इलाज अच्छे से हो सके।
-विनीता कुशवाहा, संचालिका, शिशु गृह
दोनों बच्चों की बीमारी लाइलाज थी। उनका इलाज भी अस्पताल में चल रहा था। थोड़ा ठीक होने पर वे शिशु गृह में जाते थे। हमने छिंदवाड़ा में कई डॉक्टरों से जांच भी कराई थी।
-किरण लता चोपड़े, अध्यक्ष, बाल कल्याण समिति