उल्लेखनीय है कि शासन ने विगत दिनों जिले के आरोग्यम केंद्रों में सीएचओ (कम्यूनिस्ट हेल्थ ऑफिसर) की नियुक्ति की, जो कि मरीजों को स्थानीय स्तर पर उपचार और गंभीर स्थिति में उच्चस्तर पर रेफर कर सके।
इसके बावजूद स्थिति में सुधार नहीं हुआ और न ही कोई सीएचओ मरीजों को चिकित्सा सेवा देने उपस्थित हुए। ग्रामीणों का कहना है कि वर्तमान में कोरोना संक्रमण उन्मुलन को लेकर शासन, प्रशासन और स्वास्थ्य संचालनालय विभिन्न प्रयास कर रहा है, ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों की कोई सुध नहीं ले रहा है। मामले में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रदीप मोजेस ने भी जांच का आश्वासन दिया है।
बढ़ रहे सर्दी-खांसी और बुखार के प्रकरण – बताया जाता है कि गांव में सर्दी-जुखाम और बुखार और वायरल फीवर के केस अधिक सामने आ रहे है, जिसमें से कुछ लोग बड़े हॉस्पिटल जाकर उपचार करा लेते है, पर गरीबों को आरोग्यम केंद्र में कोई सुविधा नहीं मिल पा रही है। इतना ही नहीं इन केंद्रों में मॉस्क और सेनेटाइजर भी नहीं मिल पा रहा है, जिससे कर्मचारी बिना मास्क पहने कार्य कर रहे है।