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छिंदवाड़ा

नर्मदा मिशन के पौधों के क्या हाल है..देखेंगे ये अधिकारी

बैतूल के वन अधिकारियों की टीम आएगी छिन्दवाड़ा,यहां के अधिकारी जाएंगे सागर-दमोह

छिंदवाड़ाJul 22, 2019 / 11:20 am

manohar soni

Millions of expenses, even after planting thousands of trees, could no

करोड़ खर्च, हजारों पौधे लगाने के बाद भी हरित नही हो पाई मंगलनाथ वाटिका

छिन्दवाड़ा। दो साल पहले 2 जुलाई 2017 को नर्मदा मिशन में लगाए गए पौधों की जीवितता की जांच कमलनाथ सरकार बैतूल जिले के वन अधिकारियों से कराएगी। छिन्दवाड़ा के दो डीएफओ की ड्यूटी सागर और दमोह जिले में लगाई गई है।शिवराज सरकार के समय छिन्दवाड़ा जिले में ये पौधे बड़ी संख्या में लगाए गए थे। उस समय 16.67 लाख पौधों को लगाने का दावा किया गया था।
रेकॉर्ड बताते है कि गिनीज ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराने के लिए तत्कालीन सरकार ने छिन्दवाड़ा जिले में बहने वाली नर्मदा की सहायक नदी शक्कर,हरड़, सीतारेवा,देनवा और दूधी नदी के किनारे पौधरोपण करने का निर्णय लिया था। इसमें हर्रई,तामिया,अमरवाड़ा और जुन्नारदेव विकासखंड के गांव और जंगलों को शामिल किया गया था। पौधरोपण होने के पश्चात प्रशासन ने 16.67 लाख पौधों को लगाने का दावा किया था। उस समय इन पौधों को लगाने में लापरवाही सामने आई थी। 50 फीसदी तक पौधे सूख जाने के आरोप लगे थे। इसका ऑडिट एक साल तक चलता रहा। फिर यह मामला दब गया।
विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस ने सरकार में आते ही नर्मदा मिशन के तहत रोपे गए पौधों की जांच का वायदा किया था। सरकार में आने के बाद वन मंत्री इस जांच के लिए सक्रिय नजर आए। उनके आदेश पर पूरे प्रदेश में इन पौधों की जीवितता की क्रॉस चेकिंग कराई जा रही है। छिन्दवाड़ा जिले की जांच बैतूल के डीएफओ करेंगे वही सीसीएफ केके गुरवानी ने एक आदेश जारी कर दक्षिण वन मंडल के डीएफओ आलोक पाठक को सागर तथा छिन्दवाड़ा उत्पादन के डीएफओ सागर आर्य की ड्यूटी दमोह में लगाने के आदेश जारी किए है। ये अधिकारी जिले से अधीनस्थ स्टाफ को लेकर एक दो दिन में रवाना हो जाएंगे। जबकि बैतूल के अधिकारी छिन्दवाड़ा कब आएंगे,यह तय नहीं हो पाया है। यह तय है कि दो साल पहले लगाए गए पौधों की जीवितता की जांच में प्लांटेशन अधिकांश सूखे ही मिलेंगे।

जहां से हुई थी शुरुआत,वहां के रिकॉर्ड गायब
रिकॉर्ड गवाह है कि नर्मदा मिशन के तहत रोपे गए पौधों की शुरूआत हर्रई के सुरला खापा में कन्या पूजन से हुई थी। यह पूर्व वन मण्डल के अंतर्गत आता है। हैरानी की बात यह है कि जब पिछला विधानसभा सत्र में सवाल उठाया गया था तो पूर्व वन मंडल में रोपे गए पौधों की जानकारी नही दी गई थी। इससे यह मामला संदिग्ध नजर आया था। जबकि मीडिया रिपोर्ट में साफ था कि इस वन मंडल में 2.97 लाख पौधे लगाए गए थे। प्रशासन ने सरकारी विझप्ति में भी इसका उल्लेख किया था।

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