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छिंदवाड़ा

खरीदी केंद्र सूने : एसएमएस के बाद भी नहीं पहुंच रहे किसान

दिनभर में आ रहे औसत तीन से चार किसान

छिंदवाड़ाApr 18, 2020 / 05:20 pm

Rajendra Sharma

Wheat purchase started on support price

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छिंदवाड़ा/ समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी शुरू न होने को लेकर किसान नेता और राजनीतिक दल खूब हो-हल्ला मचा रहे थे। किसान को रुपयों की आवश्यकता को देखते हुए अनाज की खरीदी का निर्णय सरकार ने ले लिया और 15 अप्रैल से खरीदी शुरू कर दी, लेकिन पहले तीन दिनों में उपार्जन केंद्रों में किसानों के पहुंचने का आंकड़ा देखें तो तस्वीर अलग ही नजर आ रही है।
उपार्जन केंद्रों में औसतन दो से तीन किसान ही पहुंच रहे हैं। समितियों के कर्मचारियों के साथ हम्माल और श्रमिक यहां दिनभर बैठे रहते हैं। इसके अलावा कृषि विभाग, पटवारी, पंचायत सचिव और कोटवार की ड्यूटी भी यहां लगाई गई है। पुलिस के भी दो कर्मचारी यहां तैनात किए गए हैं। समिति कर्मचारियों को कहना है कि प्रतिदिन दस किसानों को एसएमएस किया जाता है। इनमें से बमुश्किल तीन या चार किसान ही पहुंचते हैं। कई समितियों में अब तक एक-दो किसान ही पहुंचे हैं।
समितियों में जो मजदूर काम कर रहे हैं उन्हें क्विंटल के हिसाब से नपाई, भराई आदि का पैसा मिलता है। फिलहाल उनके पास एक से दो घंटे का काम है। ऐसे में उनकी मजदूरी भी ढंग की नहीं बन पा रही है। यदि उन्हें फायदा नहीं हुआ और वे यहां से दूसरी जगह चले गए तो समितियों में अनाज उठाएगा कौन। यह समस्या खड़ी हो सकती है। समितियों के सामने समस्या यह है कि एसएमएस करने के बाद भी किसानों के पहुंचने की अनिवार्यता नहीं है। ऐसे में किसानों पर दबाव भी नहीं डाला जा सकता।
बाद में भी आएं तो उन्हें लौटाया न जाए

कलेक्टर डॉ. श्रीनिवास शर्मा ने शुक्रवार को चांद और चौरई तहसील में उपार्जन केंद्रों का निरीक्षण किया। कलेक्टर ने चांद और पांजरा में एक-एक खरीदी केंद्र और बरेलीपार में दो खरीदी केंद्र हिमांशु वेयर हाउस और ठाकुर वेयर हाउस में व्यवस्थाओं को देखा तो चौरई में दुबे वेयर हाउस और अग्रवाल वेयर हाउस में तैयारियों को देखा। कलेक्टर ने समसवाड़ा, गोपालपुर, रामगढ़ी सेवा सहकारी समितियों का भी निरीक्षण किया। यहां कोरोना से बचाव के लिए हाथ धुलाई और मास्क आदि सुविधाओं के बारे में भी जानकारी ली। कलेक्टर ने कहा कि यदि कृषक नियत दिनांक व तिथि पर नहीं आते हैं और बाद में आते हैं तो समयानुसार उनके गेहूं की खरीदी की जाए। उन्हें लौटाया न जाए।
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