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छिंदवाड़ा

इस गरीब दिव्यांग की कौन सुने..है बड़ी तकलीफ

बारिश में घर की टपक रही मकान की छत,हर सप्ताह मदद की आस में आता है दिव्यांग जोड़ा

छिंदवाड़ाJul 14, 2018 / 11:49 am

manohar soni

chhindwara

garib

छिंदवाड़ा. बारिश में कच्चे मकान की खपरैल छत टपक रही है। भिक्षावृत्ति से दो जून की रोटी चलती है। एेसे में प्रशासन से ही छत मरम्मत के लिए मदद की आस है। हर बार गांव से बस किराए में सौ रुपए खर्च कर कलेक्ट्रेट पहुंचते हैं। फिर भी कहीं सुनवाई नहीं हो पा रही है। ये व्यथा है अमरवाड़ा के पास ग्राम पिपरिया राजगुरु से आए दिव्यांग संतोष साहू और उसकी पत्नी की।
कलेक्ट्रेट परिसर में नजर आनेवाले इस दिव्यांग जोड़ों को अमरवाड़ा से लेकर छिंदवाड़ा तक के प्रशासनिक अफसरों से शिकायत है। संतोष के मुताबिक हाथ-पैर से निशक्त होने से कोई काम नहीं कर पाते। एेसे में स्थानीय स्तर पर स्कूल समय पर मध्यान्ह भोजन से पेट भर लेते हैं। फिर घर की दूसरी जरूरतें पूरी करने भिक्षावृत्ति करने निकल पड़ते है। रहने के लिए कच्चा मकान है। खपरैल में टूट-फूट होने पर पूरी बारिश टपकती है। एेसे में दिन-रात रहना मुश्किल हो जाता है।
इस टूटी छत को सुधरवाने के लिए अमरवाड़ा तहसील व एसडीएम कार्यालय से लेकर छिंदवाड़ा में कलेक्ट्रेट तक हर अफसर के दरवाजे खटखटाए। कोई भी उन्हें छत मरम्मत के पैसे देने के लिए तैयार नहीं है। दिव्यांग का कहना है कि अब तक १५ बार छिंदवाड़ा आने में 15 सौ रुपए बस किराया में खर्च हो चुके हैं। दिन भर कलेक्ट्रेट में बैठे रहते हैं। किसी ने पांच-दस रुपए की मदद कर दी तो खाना लिया नहीं तो किस्मत पर हाथ धरकर शाम को घर लौटना पड़ता है। कई बार कर्मचारी उसे दफ्तर से भगा देते हैं। एेसे में वह अपनी शिकायत लेकर कहां जाए। शारीरिक निशक्तता से मुश्किल से छिंदवाड़ा आ पाता है। उसका यह भी कहना है कि हर गांव में प्रधानमंत्री आवास योजना चल रही है। इसका लाभ उसे नहीं दिलाया गया है। सरकार को इस विषय पर सोचना चाहिए। इस जोड़े ने एक बार फिर कलेक्टर का ध्यान अपनी मजबूरी पर आकर्षित किया है।

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