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छिंदवाड़ा

चुनावी नतीजों के बाद जुटेंगे अधिकारी, बनेगा प्लान

प्री मानसून के साथ ही शुरू हो जाएगी बोवनी

छिंदवाड़ाMay 15, 2019 / 12:57 am

prabha shankar

Farmers are demanding 1000 crores, the company is not telling the buoy

Farmers are demanding 1000 crores, the company is not telling the buoy

छिंदवाड़ा. जिले में खरीफ सीजन की फसलों का विस्तृत प्लान 23 मई के बाद ही पता चल पाएगा। चुनाव के कारण इस बार विभागीय बैठक निश्चित समय पर नहीं हो पाई है। कृषि विभाग की यह बैठक राज्य स्तर पर होती है और विभागीय उच्च अधिकारी हर एक जिले का लक्ष्य तय कर वहां की स्थिति की समीक्षा करते हैं। चुनाव के कारण इस बार बैठक में देर हो रही है।
ये बैठकें आजकल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से होती हैं। इसमें जिला कलेक्टर सहित खेती से जुड़े विभागों के अधिकारी शामिल होते हैं। वीसी करने के पीछे एक कारण अधिकारियों का जबलपुर भोपाल का दौरा और समय बचाना भी है। मई का दूसरा पखवाड़ा शुरू हो गया है। विभाग औपचारिकताएं पूरी कर रहा है, ताकि बैठक के बाद तय मानकों और क्षेत्र के हिसाब से बोवनी की तैयारी की जा सके और बीज तथा जरूरी सामान किसानों को समय पर दिया जा सके।
15 जून तक जिले में मानसून आ जाता है। पहले पानी के बाद ही जिले के कई क्षेत्रों में किसान बोवनी शुरू कर देते हैं। इसके लिए बीज भी सरकार किसानों को कम दामों या फिर सब्सिडी पर देती है। बीज किसानों को किस कीमत पर और कौन सा देना है यह भी अभी तय नहीं है। समय कम बचा है। ऐसे में इस बार ऐन मौके पर आपाधापी की स्थिति बन सकती है।

तीन लाख हैक्टेयर में मक्का
जिले में इस बार मक्का का रकबा तीन लाख हैक्टेयर तक पहुंच सकता है। विभाग भी इस बात को मान रहा है। 2018 में दो लाख 79 हजार हैक्टेयर में किसानों ने मक्का लगाया था। इसमें 10 से 15 हजार हैक्टेयर का क्षेत्र और बढऩे की उम्मीद है। पिछले खरीफ में मक्का का उत्पादन जिले में अच्छा हुआ था, वह भी सामान्य बारिश की स्थिति में। मक्का का रकबा और बढऩे की उम्मीद इसलिए है कि पानी की कमी से रबी में सैकड़ों हैक्टेयर का क्षेत्र सूखा ही पड़ा रहा। ऐसे किसान अब इस सीजन में फसल अच्छी और ज्यादा लेंगे।

पहली बारिश हुई और बोवनी शुरू
जिले के पहाड़ी और मैदानी इलाकों में पहली बारिश के बाद से ही बोवनी का काम शुरू हो जाता है। आदिवासी क्षेत्र बिछुआ, जुन्नारदेव, तामिया और हर्रई में सबसे पहले बोवनी होती है। ये किसान फिलहाल विभाग की खबर का इंतजार कर रहे हैं ताकि वे जल्द बीज ले सकें। इन इलाकों में आदिवासी किसान उड़द, तिल की बोनी भी करते हैं।

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