मध्य प्रदेश पुलिस के एक जवान की मौत सिर्फ इसलिए हो गई कि उसे अपनी फर्ज अदायगी की कीमत प्यास से तड़पते हुए चुकानी पड़ी। उसके साथ मौजूद अन्य पुलिसकर्मियों ने उसे ठिकाने तक पहुंचाने की जरूरत नहीं समझी अपने स्वार्थ के आगे और बियावान जंगल में उसे तड़पता हुआ छोड़कर चले गए। पानी की कमी से जंगल में तड़पते हुए मौत की आगोश में जाने के बाद मीडिया और विभागीय स्तर पर किरकिरी झेल रहे खाकी के लम्बरदारों ने हाल फ़िलहाल 11 पुलिसकर्मियों को निलम्बन का लेटर थमा दिया है।
प्यास से तड़पकर हुई थी जवान की मौत पुलिस टीम
शुक्रवार 22 जून को यूपी एमपी के सीमावर्ती जंगल में दस्यु बबुली के मौजूद होने की सूचना पर कॉम्बिंग करने गई मध्य प्रदेश पुलिस की स्पेशल फ़ोर्स के जवान सचिन शर्मा की मौत प्यास से तड़पते हुए हो गई। दीगर बात यह टीम में शामिल थानाध्यक्ष सहित चार अन्य जवानों ने अपने एक साथी को उन हालातों में छोड़ दिया जिन हालातों में जवान अपनी पीठ पर अपने साथी को लादकर मुसीबत से बाहर निकालते है। सीमावर्ती बगदरा घाटी जंगल में सचिन शर्मा की हालत पानी न मिलने से प्यास के कारण बेहद खराब हो गई थी, टीम में शामिल अन्य पुलिसकर्मी जवान को जंगल में छोड़कर वापस लौट आए थे। जवान सचिन शर्मा एसएएफ की 14 वीं बटालियन में तैनात थे।
11 पुलिसकर्मी निलम्बित
सतना(मध्य प्रदेश) एसपी राजेश हिंगडकर ने जानकारी देते हुए बताया कि यूपी एमपी के सीमावर्ती बगदरा घाटी जंगल में विगत 22 जून को पुलिस की छह टीमें डकैतों की तलाश के लिए गईं थी। एक टीम में शामिल एसएएफ जवान सचिन शर्मा 22 जून को ही जंगल में रास्ता भटकने से टीम से अलग हो गए थे और उनकी प्यास से तड़पकर मौत हो गई थी। सचिन का शव 24 जून को जंगल से बरामद किया गया था।
एसपी ने बताया कि भोपाल पुलिस मुख्यालय से मिले निर्देश के बाद कांबिंग के दौरान लापरवाही बरतने पर सतना के नयागांव थाने के दरोगा बालकेश सिंह, एएसआई कप्तान सिंह, रणविजय, इष्टदेव, विवेक सिंह, मझगवां थाने के सिपाही आरके पांडेय, देवेंद्र मिश्रा, 14वीं बटालियन के डिप्टी कमांडेंट सर्वेश शर्मा, जवान रामलाल, अशोक और एक अन्य को निलंबित कर दिया गया
शहीद का दर्जा देने की मांग
उधर जवान(मृत) सचिन शर्मा के परिजनों ने उन्हें शहीद का दर्जा देने की मांग की है। परिजनों का कहना है कि सचिन अपना फर्ज निभाते हुए शहीद हो हुए सरकार और विभाग को उन्हें शहीद का दर्जा देना चाहिए।