नागौर. खेलों को लेकर लोगों की सोच बदल रही है। खासकर कोरोना महामारी के बाद एक ओर जहां बड़े-बुजुर्गों ने खेलकूद पर ध्यान देना शुरू किया है, वहीं बच्चों को भी खेलों में पारंगत बनाने के लिए महंगी कोचिंग दिला रहे हैं। नागौर शहर में जिला खेल स्टेडियम के साथ कांकरिया स्कूल व अन्य स्थानों पर विभिन्न खेलों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कुछ स्थानों पर तो बाहर से प्रशिक्षक बुलाए गए हैं। गौरतलब है कि पुराने जमाने में बड़े-बुजुर्ग कहते थे कि ‘पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे बनोगे खराब’ (यानी खेल नहीं, शिक्षा तुम्हें जीवन जीने का साधन प्रदान करेगी), लेकिन अब यह सोच बदल गई है, अब यह कहा जा रहा है कि ‘पढ़ोगे-लिखोगे तो बनोगे नवाब, खेलोगे-कूदोगे तो बनोगे लाजवाब।’ अब खेलों में भी केरियर बनाया जा रहा है और सरकारी नौकरियों में भी खेल कोटा रखा जा रहा है। खेल आपके दिमाग को तेज और शरीर को शारीरिक रूप से फिट रखने के साथ अच्छा पैसा और पहचान भी दिला सकता है।
स्कूलों में दिया जाने लगा बजट
खेलों को बढ़ावा देने के लिए सरकार भी पूरे प्रयास कर रही है। हालांकि आज भी कई जगह शारीरिक शिक्षक नहीं है, लेकिन पहले की तुलना में देखें तो काफी सुधार हुआ है। अब सरकार की ओर से हर वर्ष सरकारी स्कूलों में खेल सामग्री खरीदने के लिए 25 हजार रुपए का बजट स्वीकृत किया जाता है। जिन स्कूलों में संस्था प्रधान और शारीरिक शिक्षक खेलों के प्रति जागरूक हैं, वहां पिछले कुछ वर्षों में अच्छी खेल सामग्री जमा हो गई हैं, जिसका उपयोग विद्यालय के विद्यार्थी कर रहे हैं। कुछ जगह आज भी ढर्रा बिगड़ा हुआ है, जहां केवल कागजों में खरीद होती है।
बढ़ी खेल सामग्री की राशि
शहर में खेल सामग्री की दुकान करने वाले नरेन्द्र जोशी ने बताया कि पहले की तुलना में कोरोना के बाद बिक्री काफी बढ़ी है। बच्चों के साथ उनके अभिभावक भी खेलों पर बड़ा खर्च करने लगे हैं। खासकर क्रिकेट, बेडमिंटन, टेबल टेनिस, फुटबाल, वॉलीबाल आदि खेलों अधिक ध्यान दिया जा रहा है। अमेरिकी सरकारी सांख्यिकीय एजेंसी बीएलएस का अनुमान है कि मनोरंजन के साथ-साथ खेल व्यवसायों में रोजगार 2022 से 2030 तक 22 प्रतिशत बढ़ जाएगा। यह सभी व्यवसायों के औसत की तुलना में काफी तेज है।
नागौर में मुख्यमंत्री कर चुके घोषणा
फरवरी में नागौर आए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने मूण्डवा के तेजा स्थली से घोषणा की थी कि नागौर से ओलम्पिक खेलों के प्रशिक्षण की शुरुआत करेंगे। यहां के बच्चे प्रतिभावन हैं, जो प्रशिक्षण लेकर बड़े परिणाम दे सकते हैं। गौरतलब है कि भारत सरकार कई मंत्रालयों और विभागों के माध्यम से युवा-उन्मुख योजनाओं में बड़ा निवेश कर रही है। फिट इंडिया मूवमेंट व खेलो इंडिया ऐसी ही योजनाएं हैं। राज्य सरकारें, कई अन्य साझेदारों के साथ मिलकर, युवा विकास को बढ़ावा देने और युवाओं के बीच खेल भागीदारी को प्रोत्साहित करने का प्रयास कर रही है।
आर्थिक के साथ शारीरिक रूप से मजबूत होना जरूरी
समाज के कई लोग आर्थिक रूप से मजबूत हो गए, लेकिन शारीरिक रूप से कमजोर गए। 50-60 की उम्र में उनका स्वास्थ्य साथ नहीं दे रहा। ऐसे में वे चाहते हैं कि उनके बच्चों के पास पैसे भले ही कम हो, लेकिन शारीरिक रूप से वे मजबूत रहें। इसके साथ सरकारी नौकरियों में भी खिलाडिय़ों को वरियता दी जाती है। सीनियर में नेशनल का मेडल जीतने पर आउट ऑफ टर्न नौकरी दी जा रही है। मेरा नागौर के लोगों से यही कहना है कि गर्मियों की छुट्टियों में घर में बैठने की बजाए स्टेडियम आएं और समय का सदुपयोग करें।
– सोहनलाल गोदारा, जिला खेल अधिकारी, नागौर