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सरकार के घोषणाएं पूरी करने के दावे, नागौर में दस महीने बाद भी सिंथेटिक ट्रैक का सपना अधूरा

खेल प्रेमियों में निराशा, जिले में खेल सुविधाओं को बेहतर होने का इंतजार

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नागौर स्टेडियम का ट्रेक

नागौर स्टेडियम का ट्रेक

नागौर. राज्य सरकार बजट घोषणाओं को ऐतिहासिक बताते हुए उन्हें समयबद्ध रूप से पूरा करने के दावे कर रही है, वहीं दूसरी ओर नागौर जिले के लिए की गई कई महत्वपूर्ण घोषणाएं अब तक फाइलों से बाहर नहीं निकली है। खेल सुविधाओं को लेकर की गई घोषणाओं की जमीनी हकीकत इससे अलग नजर आ रही हैं। नागौर जिले का बहुप्रतीक्षित सिंथेटिक ट्रैक का निर्माण आज भी अधूरा सपना बना हुआ है और खिलाड़ी सरकार की घोषणा पूरी होने का इंतजार कर रहे हैं।

वित्त मंत्री दिया कुमारी ने वर्ष 2025-26 के राज्य बजट में नागौर जिला मुख्यालय पर सिंथेटिक ट्रैक के निर्माण की घोषणा की थी। इस घोषणा का उद्देश्य राज्य में खेल सुविधाओं को बेहतर बनाना और स्थानीय एथलीटों को विश्व स्तरीय प्रशिक्षण सुविधाएं उपलब्ध कराना बताया गया था। सरकार का दावा था कि इससे ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के युवाओं को खेलों के प्रति प्रोत्साहन मिलेगा और प्रतिभाओं को आगे बढऩे का मंच मिलेगा।

फरवरी 2025 में बजट के दौरान वित्त मंत्री ने युवाओं को खेल गतिविधियों से जोडऩे और खेलों के लिए आधारभूत ढांचा विकसित करने की दिशा में कई अहम घोषणाएं की थीं। इनमें खेल मैदानों की स्थापना, उनका सुदृढ़ीकरण, ट्रैक निर्माण और अन्य मूलभूत सुविधाओं से जुड़े कार्य शामिल थे। इसी क्रम में नागौर जिले के खींवसर में खेल स्टेडियम का निर्माण कराने तथा नागौर जिला मुख्यालय पर सिंथेटिक ट्रैक और ग्रास मैदान के निर्माण की घोषणा की गई थी। हालांकि बजट घोषणा के करीब 10 महीने बीत जाने के बावजूद अब तक सिंथेटिक ट्रैक के लिए बजट स्वीकृत नहीं किया गया है। न ही निर्माण कार्य को लेकर कोई टेंडर प्रक्रिया शुरू हुई है और न ही संबंधित विभाग की ओर से कोई स्पष्ट समय सीमा तय की गई है। ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस परियोजना को धरातल पर उतरने में अभी कितना समय और लगेगा।

प्रतियोगिताओं की तैयारी में दिक्कत

जिले के खिलाड़ी और खेल प्रेमी इस देरी से खासे निराश हैं। एथलेटिक्स से जुड़े खिलाडिय़ों का कहना है कि आधुनिक सुविधाओं के अभाव में उन्हें प्रतियोगिताओं की तैयारी में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। सिंथेटिक ट्रैक नहीं होने के कारण खिलाड़ी कच्चे या असमान मैदानों पर अभ्यास करने को मजबूर हैं। इससे चोट लगने का खतरा भी बना रहता है। कई प्रतिभाशाली खिलाड़ी बेहतर सुविधाओं की तलाश में अन्य जिलों का रुख कर रहे हैं। खिलाडिय़ों का कहना है कि यदि समय रहते बजट स्वीकृत कर निर्माण कार्य शुरू किया जाए, तो जिले के युवा राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।

हालात जस के तस

खेल संगठनों का कहना है कि सरकार हर बजट में खेलों को बढ़ावा देने की बात तो करती है, लेकिन घोषणाओं को अमलीजामा पहनाने में गंभीरता नहीं दिखाई देती। मंत्री और जनप्रतिनिधि मंचों से विकास कार्य पूरे होने के दावे करते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर हालात जस के तस बने हुए हैं। नागौर जैसे बड़े जिले में यदि सिंथेटिक ट्रैक जैसी बुनियादी खेल सुविधा अब तक नहीं बन पाई है, तो यह सरकार के दावों पर सवाल खड़े करता है। अब देखना यह है कि सरकार अपनी घोषणाओं को कब तक धरातल पर उतारती है या फिर नागौर का सिंथेटिक ट्रैक यूं ही हवा में लटका सपना बनकर रह जाएगा।

ग्रास मैदान के लिए जारी हुआ बजट

सरकार ने बजट घोषणा के तहत ग्रास मैदान के लिए बजट जारी कर दिया है। इसके तहत जल्द ही काम शुरू करवा दिया जाएगा। सिंथेटिक ट्रैक के लिए अभी बजट जारी नहीं हुआ है।

- सोहनलाल गोदारा, जिला खेल अधिकारी, नागौर