scriptबजट 2018: हल्की आह के साथ बजट की वाह, थोड़ी निराशा फिर भी अच्छे दिन की आशा | Budget 2018 people opinion in chitrakoot | Patrika News

बजट 2018: हल्की आह के साथ बजट की वाह, थोड़ी निराशा फिर भी अच्छे दिन की आशा

locationचित्रकूटPublished: Feb 02, 2018 03:15:25 pm

Submitted by:

Ruchi Sharma

मोदी सरकार द्वारा अन्नदाताओं को राहत दिए जाने के फैसले से आम जनता भी राजी है कि किसानों का ख्याल तो होना ही चाहिए था

chitrakoot

Budget 2018

चित्रकूट. केंद्र सरकार का आखिरी आम बजट पेश हो गया, हमेशा की तरह इस बार भी जनता जनार्दन खट्टी मीठी राय रखते हुए बजट से थोड़ी निराश तो है परंतु उसे अभी भी अच्छे दिनों की आस है। मोदी सरकार द्वारा अन्नदाताओं को राहत दिए जाने के फैसले से आम जनता भी राजी है कि किसानों का ख्याल तो होना ही चाहिए था लेकिन सिकुड़ती हुई भौंहे उस तबके की नाराजगी जरूर बयां कर रही हैं जिन्हें मध्यम वर्गीय और नौकरीपेशा तबका कहा जाता है। बजट को लेकर सभी की अपनी सहमति असहमति और विचार तो हैं परंतु इन सबके बीच एक कॉमन फैक्टर जो उभर कर आ रहा है वो यह कि लोग सरकार द्वारा किसानों पर किए गए रहम और स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर की गई गरीबों की चिंता से सरकार को दबी जुबान से धन्यवाद दे रहे हैं कि मध्यम नौकरीपेशा और रईस तबके को भले ही चीनी की चाशनी न मिली हो परंतु गरीब और किसान को गुड़ का गुलगुला जरूर दिया गया है। बात यदि बुंदेलखण्ड कि की जाए तो यहां की अर्तव्यवस्था कृषि आधारित है तो ऐसे में जब बजट में किसानों को मखमली घोषणाओं से नवाजा गया है तो बुंदेलखण्ड में भी बजट को लेकर मिली जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है।
देश के वित्तमन्त्री(अरुण जेटली) की ओर टकटकी लगाए देख रहे लाखों मध्यम वर्गीय परिवारों, उच्च स्तर की जीवन शैली जीने वाले तबकों और नौकरीपेशा लोगों का हाजमा भले ही खराब हो गया हो बजट पेश होने के बाद लेकिन सबका पेट भरने वाले अन्नदाता हाल फिलहाल अभी सुकून में हैं कि सरकार ने उनका ख्याल किया भले ही आखिरी बजट में।
किसानों को इस बात की तसल्ली तो है कि उनके लिए पिटारा खोला गया है लेकिन घोषणाएं योजनाएं धरातल पर क्रियान्वित हो इसको लेकर जरूर वे सशंकित हैं और ऐसा होना लाजिमी भी है। बुंदेलखण्ड में भी बजट को लेकर विभिन्न प्रतिक्रियाएं व्यक्त हो रही हैं लेकिन इन सबके बीच किसान राहत महसूस कर रहे हैं।
हल्की आह के साथ बजट की वाह

बजट के बारे में प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बुंदेली सेना के जिलाध्यक्ष अजीत सिंह ने कहा कि देश को आगे ले जाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों का विकास अति आवश्यक है और इस बजट में सरकार ने इस बात का ख्याल रखा है। इससे गांवों का विकास होगा। किसान और युवा समाजसेवी अभिषेक द्विवेदी का कहना है कि नौकरीपेशा और मध्यमवर्गीय लोगों के लिए बजट निराशापूर्ण तो है लेकिन किसानों और गरीबों के लिए यह बजट अच्छा है, उनका भी ख्याल किया जाना चाहिए। बुंदेलखण्ड किसान विकास समिति के अध्यक्ष अनिल प्रधान ने कहा कि किसान आयोग का गठन होना आवश्यक था परंतु सरकार ने नहीं किया। फिर भी बजट में किसानों के लिए जो योजनाएं पेश और घोषणाएं हुई हैं उन्हें धरातल पर भी दिखना होगा। ग्रेजुएशन के छात्र विपुल पाण्डेय का कहना है कि रोजगार को लेकर सरकार ने कोई खास घोषणा नहीं कि फिर भी उसके पिता भी किसान हैं तो थोड़ा तसल्ली हुई है।
व्यापारियों की मिली जुली प्रतिक्रिया

व्यापार मण्डल के जिलाध्यक्ष पंकज अग्रवाल ने कहा कि बजट में संतुलन साधने की कोशिश की गई है, कुल मिलाकर बजट सही है। युवा व्यापारी राहुल गुप्ता का कहना है कि इस बजट में भी कोई नई बात नहीं है, बुंदेलखण्ड के लघु उद्योगों के लिए कुछ जरूर होना चाहिए था। व्यापारी शानू गुप्ता का कहना है कि बजट व्यापारियों के हित में नहीं है। कोई घोषणाएं नहीं की गईं।
व्यापारी और समाजसेवी रामबाबू गुप्ता ने कहा कि भविष्य को ध्यान में रखते हुए सरकार ने बजट पेश किया है जिसका दीर्घकालिक लाभ मिलेगा। व्यापारियों का कोई नुकसान नहीं है। महिला समाजसेवी रंजना पाण्डेय का कहना है कि गृहणियों की आशा पर सरकार ने पानी फेर दिया, कुछ उम्मीद थी कि महंगाई कम होगी लेकिन कुछ नहीं हुआ।
बहरहाल बजट ने थोड़ी खुशी थोड़ा गम देते हुए किसानों के दर्द को हाल फिलहाल जरूर कम किया है घोषणाओं के द्वारा, अब देखना यह है कि धरातल पर यह रहमत बरसती है या नहीं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो