गांवों में सन्नाटा खेत खलिहानों में आहट कोरोना से मुकाबले को देश प्रदेश का कोना कोना लॉकडाउन है. शहरी कस्बाई इलाकों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में भी लॉकडाउन का असर देखा जा रहा है. हर तरफ लगभग सन्नाटे का आधिपत्य है. इसके इतर गांवों में थोड़ी चहल पहल है. ये चहल पहल ग्रामीणों की चौपालों आने जाने वालों की नहीं बल्कि किसानों की है जो खेतों में दिन रात फसल काटने में लगे हुए हैं. गेहूं, जौ, चना, मसूर, सरसों आदि रबी की फसलें कटने को तैयार हैं. मेहनत के पसीने से सींची गई फसलों को वैसे भी ओलावृष्टि व बारिश से खासा नुकसान पहुंचा है. ऐसे में बची हुई फसलों को अन्नदाता जल्द से जल्द काटकर उन्हें सुरक्षित स्थानों पर रखना चाहता है. लॉकडाउन में सरकार से फसल काटने की मंजूरी के बाद खेत गुलजार हो गए हैं.
खुद की फिक्र बरत रहे सावधानी देश की भी चिंता फसल कटाई के दौरान किसान “कोरोना वायरस” के संक्रमण से बचाव के लिए हांथ धोने व सोशल डिस्टेंसिंग जैसे सुझाव पर भी अमल करते दिखाई दे रहे हैं. खेतों में इसका ध्यान रखा जा रहा है कि फसल काटने के दौरान एक दूसरे से उचित दूरी बनाकर रखा जाए. साथ ही हांथ धोने का भी ख़्याल रखा जा रहा है. कई किसानों ने अपने खेत के पास ही पानी साबुन आदि का इंतजाम कर रखा है जिससे वे खुद और काम करने वाले मजदूर साफ सफ़ाई का पालन कर सकें. किसान अवध नरेश त्रिपाठी, इंद्रेश त्रिपाठी, जितेंद्र मिश्रा, आदि का कहना है कि कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सावधानी बरती जा रही है. लेकिन यदि फसल नहीं काटेंगे तो खुद के परिवार और देश में भी तो खाद्यान संकट उत्पन्न हो जाएगा. सरकार ने किसानों को लॉकडाउन में छूट देकर अच्छा किया. फसल समय से कट जाएगी.