सूने बाजार सूनी गालियां और चौबारे
“हारेगा कोरोना” कुछ ऐसा ही ध्येय लेकर इस अदृश्य दानव से निपटने के लिए समाज काफी हद तक एक्टिव मोड में नजर आ रहा है. क्या शहर क्या कस्बे और क्या ग्रामीण क्षेत्र हर जगह जनता कर्फ्यू का व्यापक असर दिखा. बात यदि बुन्देलखण्ड के चित्रकूटधाम मंडल कि की जाए तो यहां जनता कर्फ्यू पूरी तरह सफल रहा. मंडल के चित्रकूट, बांदा, महोबा, व हमीरपुर जनपद में हर गली बाजार मोहल्ले ख़ामोश रहे. इन जनपदों के ग्रामीण क्षेत्रों में भी कर्फ्यू का पूरा असर रहा. चौपालें नहीं लगीं बुजुर्गों की बैठक नज़र नहीं आई. बच्चे भी अपनों के पास आशियानों में उछल कूद करते रहे.
सन्नाटे के साए में बाजार
चित्रकूट मुख्यालय स्थित शंकर बाजार नई बाजार पुरानी बाजार जैसे भीड़ भाड़ वाले स्थान सन्नाटे में सांस लेते रहे. बांदा जनपद का भी यही दृश्य रहा. यहां के मर्दन नाका कालू कुआं छोटी बाजार चौक महेश्वरी देवी चौक भूरागढ़ आदि अति व्यस्ततम इलाके कर्फ्यू की चादर में लिपटे रहे. मंडल के महोबा जनपद की बात करें तो यहां मलकपुरा गांधी नगर सुभाष नगर भाटीपुरा, हवेली दरवाजा समुद्र मोहल्ला जैसे व्यस्त स्थान जनता कर्फ्यू में खामोश रहे. हमीरपुर जनपद का भी यही दृश्य रहा. यहां के रमणी काजीपुरा कालपी चौराहा चौक काजियाना टोला जैसे बड़े बाजार कर्फ्यू में पूरी तरह शांत रहे.
ग्रामीण इलाकों में भी जनता कर्फ्यू पूरी तरह लागू
मंडल के शहरी इलाकों के इतर ग्रामीण क्षेत्रों में भी कर्फ्यू पूरी तरह से लागू रहा. बीहड़ में बसे गाँवों तक में कोरोना को मात देने की लड़ाई लड़ने की इच्छाशक्ति देखी गई. भरी दोपहरी में गाँव के पेड़ की छाँव में लगने वाली चौपाल नजर नहीं आई। हर निगाह घर के झरोखों से बाहर का नजारा देख रही थी.