समस्या बनी जस की तस गांवों और मजरों में कई वर्षों से पेयजल समस्या जस की तस बनी रहने से क्षुब्ध किसानों ने क्रमिक अनशन शुरू किया है। जनपद के पहाड़ी ग्राम सभा के अनशनरत किसानों ने मांग की कि क्षेत्र में पेयजल संकट से निपटने के लिए पानी की टंकी बनवाई जाए और खसतौर पर दलित बस्ती में पाइप लाइन बिछाते हुए बस्ती के लोगों की इस सबसे बड़ी समस्या को दूर किया जाए। क्षेत्र में हमेशा से पानी की बड़ी समस्या रही है।
नहीं हुआ विकास कार्य क्रमिक अनशन पर बैठे किसानों का कहना था कि कई ग्राम पंचायतें ऐसी हैं जहां आज तक विकास का पहिया नहीं पहुंच पाया जबकि स्थानीय लोगों ने न जाने कितनी बार अधिकारीयों से लेकर जनप्रतिनिधियों की चौखटों पर समस्याओं को लेकर दस्तक दी। हर साल गर्मी के दिनों में बूंद बूंद पानी के लिए कई गांवों के ग्रामीण जद्दोजहद करते हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
करेंगे आमरण अनशन क्रमिक अनशनरत किसानों ने प्रशासन को आगाह करते हुए कहा कि यदि उनकी मांगों पर विचार करते हुए कार्य शुरू नहीं कराए गए तो वे आमरण अनशन के लिए मजबूर होंगे। किसानों के मुताबिक कई बार अवगत कराने के बावजूद भी पेयजल जैसी गम्भीर समस्या का समाधान आज तक न निकल पाया क्योंकि अधिकारीयों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक सभी ने उदासीनता बरती। टैंकरों से कई बार पानी सप्लाई की बात कही गई लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया, किसानों के मुताबिक उनकी फिर ये मांग है कि सबसे पहले क्षेत्र की पेयजल समस्या पर गहराई से ध्यान दिया जाए।
प्रभावित हैं कई गांव पेयजल समस्या सहित विकास से जनपद के कई ग्रामीण इलाके अभी कोसों मीलों दूर हैं। इस मामले में दशकों से संघर्ष कर रहे यदि पाठा क्षेत्र को छोड़ दिया जाए तो अन्य तराई के इलाकों के गांवों में भी विभिन्न मूलभूत समस्याएं आज भी मुंह बाए खड़ी हैं। ऐसी ही समस्याओं को लेकर किसानों ने क्रमिक अनशन शुरू किया है।