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चित्रकूट

कहीं अपनों के बीच पहुंचने की ख़ुशी तो कहीं घर पहुंचाने की गुहार

लॉकडाउन का सिलसिला चलेगा या थमेगा यह तो कुछ दिन बाद ही पता चलेगा परन्तु इस दौरान आशियानों की ओर परदेसियों के लौटने का क्रम अनवरत जारी है.

चित्रकूटApr 29, 2020 / 12:37 pm

आकांक्षा सिंह

कहीं अपनों के बीच पहुंचने की ख़ुशी तो कहीं घर पहुंचाने की गुहार

कहीं अपनों के बीच पहुंचने की ख़ुशी तो कहीं घर पहुंचाने की गुहार

चित्रकूट: लॉकडाउन का सिलसिला चलेगा या थमेगा यह तो कुछ दिन बाद ही पता चलेगा परन्तु इस दौरान आशियानों की ओर परदेसियों के लौटने का क्रम अनवरत जारी है. प्रदेश सरकार द्वारा छात्रों को उनके घर पहुंचाने के फरमान के बाद अब तक 52 छात्र प्रयागराज से अपनों के बीच पहुंच चुके हैं. वहीं दूसरी तरफ मध्य प्रदेश से लाए गए कई मजदूर सीमावर्ती इलाके में फंसे हैं इस उम्मीद के साथ कि यूपी सीएम उनकी भी सुध लेंगे. मजदूरों को सीमाई क्षेत्र में रखा गया है. दोनों राज्यों के प्रशासनिक अधिकारी वार्ता कर रहे हैं इनको इनके घर भेजने को लेकर.
लॉकडाउन 2.0 के दौरान भी प्रवासी मजदूरों आदि का अपने गांव घरों की ओर लौटने का सिलसिला थमा नहीं है. पैदल साइकिल व किसी तरह जुगाड़ लगाकर प्रवासी मजदूर वापस लौटने की हर सम्भव कोशिश में हैं. वहीं प्रदेश सरकार द्वारा जब छात्रों को उनके घर पहुंचाने का एलान किया गया तो छात्रों के लौटने का क्रम भी शुरू हो गया. इसी के तहत 52 छात्र पड़ोसी जनपद प्रयागराज से अपने गृह जनपद पहुंचे. इन सभी का स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया. डीएम शेषमणि पांडेय व एसपी अंकित मित्तल ने छात्रों के भोजन आदि की व्यवस्था कराई. अपनों के बीच पहुंचने की खुशी छात्रों के चेहरे पर साफ झलक रही थी.
उधर मेहनतकश यानी मजदूर एक अलग दर्द से गुजर रहे हैं. दरअसल ये यूपी के मजदूर हैं जिन्हें मध्य प्रदेश सरकार ने उन्हें उनके घर भेजने के एलान के तहत यूपी एमपी सीमा पर लाकर छोड़ दिया. अब गेंद यूपी सरकार के पाले में है कि इन मजदूरों को कैसे इनके घर गांव तक पहुंचाया जाए. हाल फिलहाल इनके रहने खाने की व्यवस्था की गई है. दोनों राज्यों के उच्चाधिकरियों के बीच विचार विमर्श जारी है. वहीं मजदूरों का दर्द यह है कि उनकी हालत आसमान से गिरे खजूर में अटके वाली हो गई है. पहले मध्य प्रदेश सरकार ने घर भेजने का एलान किया और अब वे सीमा क्षेत्र में पिछले दो दिन से फंसे हुए हैं. उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
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