नशे के काले कारोबार से जुड़े गांजा तस्करों को लखनऊ की नारकोटिक्स टीम ने मुखबिर की सूचना पर रंगे माल सहित गिरफ्तार कर लिया। तस्कर तीन वाहनों के साथ गांजा सप्लाई करने जा रहे थे। जानकारी के मुताबिक लखनऊ की नारकोटिक्स टीम को कई दिनों से चित्रकूट के राजापुर थाना क्षेत्र में गांजा तस्करी की खबरें मिल रही थीं। सूचना को पुख्ता करने के लिए मुखबिरों का जाल बिछाया गया। देर रात मुखबिर की सूचना पर लखनऊ नारकोटिक्स टीम राजापुर थाना क्षेत्र पहुंची।
वाहन चेकिंग के दौरान हत्थे चढ़े तस्कर
थाना क्षेत्र के सुरवल मोड़ के पास वाहन चेकिंग के दौरान टीम को एक पिकअप तेज रफ़्तार से आती हुई दिखाई पड़ी। मामला कुछ संदिग्ध लगने पर तत्परता दिखाते हुए टीम ने पिकअप को रोक लिया। चालक से पूछताछ करने व् उसके द्वारा गोल मटोल जवाब मिलने पर जब नारकोटिक्स टीम ने पिकअप की तलाशी ली तो उसके भी पैरों तले जमीन खिसक गई। पिकअप में एक दर्जन से अधिक बोर लादे गए थे जिनमें गांजा भरा हुआ था। कानून की आंखों में धूल झोंकने के लिए पिकअप में गांजा लदे बोरों से पहले प्लास्टिक के कैन रखे गए थे जिससे किसी को शक न हो कि वाहन में क्या लदा हुआ है।
पीछे लगे थे मुख्य तस्कर
पिकअप चालक अनुराग से पूछताछ करने पर टीम को जानकारी मिली कि पीछे दो अन्य वाहनों से भी उसके साथी पिकअप को ट्रेस कर रहे हैं। थोड़ी देर में एक डस्टर और ऑल्टो कार आती हुई दिखाई पड़ी। टीम ने उन वाहनों को भी रोका और मध्य प्रदेश के सतना जनपद के निवासी संदीप व् नृपेंद्र को धर दबोचा। तलाशी लेने पर दोनों के पास से 70 हजार रूपये नगद बरामद हुए। उक्त तीनों अभियुक्त बड़े पैमाने पर गांजा तस्करी के काले कारोबार में लिप्त पाए गए। करीब 5 क्विंटल 80 किलो गांजा बरामद हुआ। इसकी कीमत 30 लाख के करीब आंकी गई।
मध्य प्रदेश से होती है तस्करी
टीम के इंस्पेक्टर भोजराज ने बताया कि पकड़े गए तस्कर कई महीनों से गांजा तस्करी का काम कर रहे थे। मुखबिर द्वारा सूचना पर इनपर नजर रखी जा रही थी। गांजा की तस्करी मध्य प्रदेश से होती है जिसे चित्रकूट के रास्ते लाकर राजापुर थाना क्षेत्र में बेचा जाता है और फिर अन्य जनपदों में इसकी सप्लाई की जाती है। धंधे से जुड़े लोग सीमा क्षेत्रों में पूरी टोह लेने के बाद तस्करी शुरू करते हैं। हालांकि स्थानीय पुलिस इस पूरे घटनाक्रम के दौरान शामिल नहीं थी। टीम का कहना है कि उन्होंने थाना क्षेत्र में पहुंचने की सूचना पुलिस को दी थी लेकिन उनका काम पुलिस से अलग है। आरोपियों को पुलिस के हवाले कर दिया गया है।
खाकी की नाक के नीचे होता है खेल
जनपद में यह पहला मामला नहीं है गांजा तस्करों की गिरफ्तारी का। इससे पहले भी कई बार गांजा तस्कर खाकी के हत्थे चढ़ चुके हैं लेकिन इसके बावजूद भी इलाके में नशे के सौदागरों पर लगाम नहीं लग पा रही। जनपद के मऊ, बरगढ़, कर्वी कोतवाली क्षेत्र में भांग की दुकानों पर गांजा बिकने की सूचनाएं खाकी तक पहुंचती है लेकिन धृतराष्ट्र की भूमिका निभाती हुई पुलिस अंधी बनी रहती है। इन सबके बीच मध्य प्रदेश पुलिस भी सवालों के घेरे में है कि उसकी भी नाक के नीचे उसके प्रदेश में यह गोरखधंधा परवान चढ़ा हुआ है लेकिन उसकी आंखे भी बन्द हैं।