scriptसाधु संतों द्वारा निकाली गई 84 कोसी परिक्रमा यात्रा, गाए गए कीर्तन | Ram naam kirtan parikrama yatra in chitrakoot up | Patrika News
चित्रकूट

साधु संतों द्वारा निकाली गई 84 कोसी परिक्रमा यात्रा, गाए गए कीर्तन

अनादिकाल से साधु संतों द्वारा निकाली जा रही 84 कोसी पैदल परिक्रमा सीता राम के जयकारों संकीर्तन के साथ भक्तिभाव से जारी है।

चित्रकूटFeb 22, 2018 / 07:23 pm

Mahendra Pratap

Ram naam kirtan parikrama yatra in chitrakoot up

चित्रकूट. अनादिकाल से साधु संतों द्वारा निकाली जा रही 84 कोसी पैदल परिक्रमा सीता राम के जयकारों संकीर्तन के साथ भक्तिभाव से जारी है। परिक्रमा में हजारों की संख्या में शामिल साधू संत फकीरी मस्ती में झूमते गाते परिक्रमा के पथ पर आगे बढ़ रहे हैं। विगत 17 फरवरी को शुरू हुई यह परिक्रमा अब तक कई पड़ावों से गुजरते हुए गुरूवार को वाल्मीकि आश्रम लालापुर पहुंची जहां स्थानीय लोगों ने भाव विभोर होते हुए भक्तिभाव से साधु संतों का अभिनंदन किया। इससे पहले यात्रा का पड़ाव गोस्वामी तुलसीदास की जन्मस्थली राजापुर में था।

प्रभु श्री राम की तपोस्थली चित्रकूट में साधू संतों की 84 कोसी परिक्रमा जारी है। भगवान राम को वनवास के समय भरत अयोध्या से पैदल चलकर चित्रकूट से वापस ले जाने के लिये आये थे, किन्तु श्री राम ने माता पिता की आज्ञा का पालन करने की प्रतिज्ञा करते हुए 14 वर्ष पश्चात ही वापस जाने की बात कही. तत्पश्चात भरत ने श्री राम की आज्ञा से पदयात्रा करते हुए चित्रकूट के सभी धार्मिक तीर्थ स्थलों के दर्शन किए। मान्यता के अनुसार इसी प्रेरणा से साधु संत भी प्रतिवर्ष श्री रघुवीर मंदिर से परिक्रमा प्रारंभ कर वापस यहीं पर समाप्त करते हैं। परिक्रमा का नेतृत्व कर रहे संत अवध बिहारी दास ने बताया कि प्रभु से मिलने की इच्छा एवं ऋषियों के बताए मार्ग पर हम चल रहे हैं। यह चौरासी कोसी परिक्रमा 27 दिनों में पूरी होती है। जनसामान्य का हित हो, प्रभु की भक्ति प्राप्त हो, परिक्रमा का यही उद्देश्य है। यह परिक्रमा भजन एवं भक्ति का स्वरूप है इसलिये हम सब पैदल परिक्रमा कर रहे हैं। यह हमारी गुरु परम्परा है जो अनादिकाल से चित्रकूट के सभी तीर्थ स्थलों में प्रतिवर्ष इसी समय पर होती है। परिक्रमा में अनेक प्रभावशाली, भक्तिभाव से भरे संस्कार व संस्कृति के संवाहक संतों के दर्शन होते हैं। रघुवीर मंदिर से प्रारंभ होकर यह यात्रा स्फटिक शिला, टाठी घाट, अनुसुइया जी, गुप्त गोदवारी, मडफा, भरतकूप, व्यासकुण्ड, रमपुरा, सूरजकुण्ड, कर्वी गणेशबाग, सिद्धपुर कोटितीर्थ, देवांगना एवं हनुमानधारा होते हुये रघुवीर मंदिर में आकर सम्पन्न होगी।

ख़ास होती है यात्रा

84 कोसी परिक्रमा की यात्रा अपने आप में बेहद ख़ास और रोचक होती है। विभिन्न दुर्गम स्थानों से होते हुए धार्मिक स्थलों का भ्रमण और दर्शन इस यात्रा को अनोखा बनाते हैं। कहीं खुला आसमां तो कहीं धार्मिक स्थल यात्रा में शामिल साधु संतों के रैन बसेरे बनते हैं। भजन कीर्तन के आध्यात्मिक वातावरण में परिक्रमा की निरंतरता सनातन संस्कृति की महत्ता को प्रकट करती है। विभिन्न प्रकार के जप तप व्रत करने व् साधना के मार्ग पर चलने वाले साधु संतों का दर्शन करने के लिए इलाकाई लोगों में उत्सुकता बनी रहती है।

प्रतिदिन होता है शिव का रुद्राभिषेक

परिक्रमा के दौरान प्रतिदिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक वैदिक मंत्रोच्चार के बीच विधिपूर्वक किया जाता है तत्पश्चात फलहार या भोजन का प्रबंध होता है। यात्रा जिन पड़ावों से होकर गुजरती है और जहां ठहरती है वहां के स्थानीय बाशिंदों द्वारा श्रद्धापूर्वक साधु संतों का स्वागत उनके भोजन आदि की व्यवस्था की जाती है। दुर्गम स्थानों पर साधु संतों के पास खुद का इंतजाम होता है दिन व् रात्रि के भोजन विश्राम आदि के लिए।

Home / Chitrakoot / साधु संतों द्वारा निकाली गई 84 कोसी परिक्रमा यात्रा, गाए गए कीर्तन

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो