इस योजना के तहत उतना तो अभी तक पूरा नहीं हो पाया लेकिन जितना भी अभी तक हुआ है। उन परिवारों में खुशियों की शहनाई जरूर सुनाई पड़ रही है। चित्रकूट के आदिवासी इलाके बरगढ़ में 46 जोड़ों ने एक दूसरे का दामन थामते हुए साथ चलने की कसमें खाई, इनमें एक जोड़ा मुस्लिम समुदाय से भी था।
प्रदेश में इस समय शादियों की लहर है। जी हां मतलब मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत शहनाइयों की धुन सुनाई पड़ रही है किसी न किसी जनपद में। चित्रकूट में भी इस योजना के तहत पहले चरण में 151 और दूसरे चरण में 46 जोड़ों ने जिंदगी की नई शुरुआत की। जनपद के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बरगढ़ में आयोजित सामूहिक विवाह कार्यक्रम में आदिवासी क्षेत्रों के नवदंपत्तियों ने उपस्थित बड़े बुजुर्गों अधिकारीयों का आशीर्वाद प्राप्त करते हुए जीवन के नए पायदान पर कदम रखा।
छलक आए आंसू कभी ख़ुशी के तो कभी गम के विवाह भले ही एक सरकारी कार्यप्रणाली के अंतर्गत एक योजना के तहत संपन्न हुआ लेकिन भावनाएं तो अपनी थी जिनके छलकने का सिलसिला बदस्तूर जारी रहा। बेटी के हाथ पीले होते देख गरीब माता पिता की आंखे धुंधली हो गईं। आंसुओं के आईने में तो इस बात की ख़ुशी भी उन आंखों ने प्रकट की जो शादी की चिंता में पथराई जा रही थीं।
मन्त्रों के बीच निकाह का कुबूलनामा एक तरह से देखा जाए तो सामूहिक विवाह योजना उन साम्प्रदायिक चोचलों पर ग्रहण लगाता है जो अपने स्वार्थों के लिए मजहब की दुहाई देते हुए समाज और इंसान को बांटने का काम करते हैं। वैवाहिक समारोह में जहां एक तरफ पंडितों के स्वर मन्त्रोच्चार का उद्घोष कर रहे थे वहीं उसी छत के नीचे पवित्र कुरान की कसमें खाते हुए काजी द्वारा मुस्लिम जोड़े को निकाह का कुबूलनामा पढ़वाया जा रहा था। एक ही छत के नीचे दो धर्मों की परम्परा समाज को तोड़ने वालों के मुंह पर खुद तमाचा मार रही थी। समारोह में इलाहाबाद के शादाब और बरगढ़ की चांदनी ने एक दूसरे का हांथ पकड़ा।
लक्ष्य अभी भी अधूरा मुख्यमन्त्री सामूहिक विवाह योजना के तहत जनपद को 476 जोड़ों को विवाह सूत्र में बांधने का लक्ष्य मिला है जिसके तहत अभी तक कुल 189 जोड़ों की शादी कराई गई है. लक्ष्य अभी भी अधूरा है. अधिकारीयों का कहना है कि पूरी पारदर्शिता के तहत ये योजना क्रियान्वित की जा रही है और लक्ष्य भी हांसिल करने का प्रयास किया जाएगा.