बुन्देलखण्ड के जंगलों में बहुतायत मात्रा में पाए जाने वाले तेंदू पत्तों के तोड़ान के माध्यम से आदिवासियों के साथ साथ प्रवासी श्रमिकों को भी रोजगार दिया जा रहा है. वर्षों से इलाके के आदिवासी तेंदू पत्ता तोड़ान पर अपनी आजीविका चलाते आए हैं. वन विभाग भी इन्ही आदिवासियों के भरोसे हर साल हजारों बोरे तेंदू पत्तों का तोड़ान व संग्रहण कराता है. इस वर्ष इस काम में आदिवासियों के साथ प्रवासी श्रमिकों को भी लगाया गया है. हालांकि मौसम की मार से इस बार तेंदू पत्ता तोड़ान का लक्ष्य पिछले वर्ष से कम रखा गया है फिर भी काफी हद तक इससे गामीण क्षेत्र के मजदूरों को रोजगार में मदद मिल रही है.
इस विषय में जानकारी देते हुए प्रभागीय लौंगिक प्रबंधक एसपी सिंह ने बताया कि इस बार 27 हजार 450 मानक बोरा तेंदू पत्ता तोड़ान का लक्ष्य रखा गया है. पिछले वर्ष की तुलना में ये 2 हजार कम है. श्रमिकों को 1000 गड्डी की बिक्री पर 1220 रुपये मेहनताना मिलता है. मौसम खराब होने से इस बार पत्तों को नुकसान पहुंचा है. तेंदू पत्ता का वन क्षेत्र लगभग 48 हजार हेक्टेयर है. और लगभग 15 हजार से अधिक मजदूर कार्य कर रहे हैं.