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चित्रकूट

इस कुंए में स्नान करने से मिलता है मोक्ष दूर होते हैं असाध्य रोग जाने क्या है इस चमत्कारी कूप की महिमा

भरतकूप क्षेत्र में मौजूद है एक चमत्कारी कुंआ जिसके जल से स्नान करने से ऐसी मान्यता है कि समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

चित्रकूटSep 17, 2018 / 06:15 pm

आकांक्षा सिंह

bharatkoop well

इस कुंए में स्नान करने से मिलता है मोक्ष दूर होते हैं असाध्य रोग जाने क्या है इस चमत्कारी कूप की महिमा

चित्रकूट: भगवान राम की तपोस्थली चित्रकूट में न जाने ऐसे कितने स्थान हैं जहां श्री राम की अलौकिक ऊर्जा का एहसास होता है. चौदह वर्षों के वनवासकाल के दौरान श्री राम ने साढ़े ग्यारह वर्ष चित्रकूट में बिताए एक वनवासी के रूप में ऐसी मान्यता है और कई पौराणिक व् धार्मिक ग्रन्थों में इसका उल्लेख भी मिलता है. श्री रामचरितमानस में तो विस्तृत वर्णन किया है गोस्वामी तुलसीदास ने. इसीलिए चित्रकूट को भगवान राम की तपोस्थली कहा जाता है. इसी तपोभूमि के भरतकूप क्षेत्र में मौजूद है एक चमत्कारी कुंआ जिसके जल से स्नान करने से ऐसी मान्यता है कि समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है. यही नहीं कई असाध्य रोग भी इस जल के स्नान से दूर होते हैं ऐसा माना जाता है.

जब राम को मनाने आए भरत


पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक जब श्री राम वनवासकाल के दौरान चित्रकूट में प्रवास कर रहे थे तो उनके अनुज भरत (जो श्री राम से अत्यधिक प्रेम करते थे) उन्हें मनाने चित्रकूट पहुंचे और साथ में श्री राम के राज्याभिषेक को सारे तीर्थों का जल भी अपने साथ ले आए, परंतु एक वनवासी के रूप में प्रवास कर रहे श्री राम ने पिता दशरथ की आज्ञा और अपनी दृढ प्रतिज्ञा पर अडिग रहते हुए अयोध्या वापस लौटने से इंकार कर दिया.

कुंए में भरत ने डाला समस्त तीर्थों का जल


पुजारी पण्डित राम दास ने बताया कि राम की दृढ प्रतिज्ञा को सुन दुःखी हुए भरत ने राम की खडाऊं लेकर अयोध्या वापस लौटते समय रास्ते में स्थित एक कुंए में उन समस्त तीर्थों के जल को छोड़ दिया जिसे वे श्री राम के राज्याभिषेक के लिए लाए थे. जिस क्षेत्र में यह कुंआ स्थित था उस क्षेत्र को तब से भरत और जिस कुंए में जल छोड़ा गया उस कुंए यानी कूप को मिलाकर इस क्षेत्र का नाम भरतकूप पड़ गया. इस कूप के जल के स्नान से मोक्ष की प्राप्ति और असाध्य रोग दूर होते हैं. पुजारी के मुताबिक वास्तुशिल्प के आधार पर कूप के पास स्थित मंदिर काफी प्राचीन है और ऐसा माना जाता है कि इसका निर्माण बुंदेली शासकों द्वारा कराया गया था. मंदिर में श्री राम माता जानकी, लक्ष्मण, भरत व् शत्रुघ्न की प्रतिमाएं स्थापित हैं जो अष्टधातु की बताई जाती हैं.
मकर संक्रांति पर उमड़ता है श्रद्धालुओं का सैलाब

मकर संक्रांति के अवसर पर भरतकूप में इस कुंए के जल से स्नान को श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ता है। आस्थावानों का भारी हुजूम कुंए के जल से स्नान को आतुर दिखता है।

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