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चित्रकूट

अरबों गए पानी में फिर भी न बदली धर्म क्षेत्र की सूरत

पिछले 3 से 4 वर्षों के दौरान धर्म क्षेत्र के विकास व पर्यटन को लेकर काफी बड़ी मात्रा में धनराशियों का आवंटन हुआ

चित्रकूटJul 19, 2018 / 01:51 pm

आकांक्षा सिंह

chitrakoot

अरबों गए पानी में फिर भी न बदली धर्म क्षेत्र की सूरत

चित्रकूट. सन 2014 में केंद्र की सत्ता पर मोदी और सन 2017 में यूपी की गद्दी पर योगी के आसीन होने के बाद देश के खासतौर पर उत्तर प्रदेश के धार्मिक स्थलों के विकास व बुनियादी सुविधाओं को लेकर संजीदगी तो दिखाई गई जो अभी भी परस्पर जारी है परंतु नौकरशाही की परम्परागत ढुलमुल कार्यशैली और बंदरबांट की प्रथा ने विकास योजनाओं पर ग्रहण लगाया हुआ है। परिणामतः कई धार्मिक शहरों स्थलों के विकास के नाम पर करोङों अरबों की धनराशि मिली लेकिन हालात व सूरत न बदली धर्म क्षेत्रों की। बतौर उदाहरण भगवान श्री राम की तपोस्थली चित्रकूट की ही बात की जाए तो यहां पिछले 3 से 4 वर्षों के दौरान धर्म क्षेत्र के विकास व पर्यटन को लेकर काफी बड़ी मात्रा में धनराशियों का आवंटन हुआ लेकिन सुस्त कार्यशैली से पूरा का पूरा धार्मिक तीर्थ स्थल बदहाल है। हालांकि अब कुछ तेजी दिखाई पड़ रही है विकास कार्यों को उनके नतीजों तक पहुंचाने में।

हालात जस के तस

उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच सांस ले रहे चित्रकूट को विकास की दरकार आज भी इस उम्मीद के साथ है कि एक न एक दिन इस देश दुनिया के प्रमुख पर्यटन स्थलों पर उसका भी स्थान होगा। ऐसा नहीं कि यह कार्य अभी तक पूरी तरह से अंजाम नहीं दिया जा सकता था लेकिन हुक्मरानों की वादाखिलाफी और नौकरशाही की कार्यशैली ने इस धर्म क्षेत्र को अति पिछड़े जनपदों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया। पिछली कई सरकारों के कार्यकाल के दौरान विकास के नाम पर लाखों करोङों की धनराशि आवंटित की गई लेकिन उसका सही सदुपयोग न हो पाया और अभी तक यह धनराशि लगभग अरबों में पहुंच चुकी है क्योंकि यही विडंबना है सिस्टम की कि एक योजना की धनराशि पूरी खर्च नहीं हो पाती और आंकड़ों की बाज़ीगरी करते हुए अगली धनराशि आवंटित कर दी जाती है।

विभिन्न योजनाओं में आवंटित बजट व मिली हुई धनराशि (सभी करोङों में)

धार्मिक स्थल चित्रकूट में पर्यटन विकास के नाम पर पिछले 3 से 4 वर्षों के दौरान करोङों का बजट दिया गया और धनराशि मिली लेकिन सूरत-ए हाल बदहाली के ट्रैक पर ही है।

योजना का नाम बजट मिली धनराशि


कामदगिरि पथ 2.91 2.91
सुंदरीकरण व
विस्तारीकरण

रामघाट
सुंदरीकरण 3.25 1.93

रामघाट
विस्तारीकरण 15.68 15.68

तुलसी स्मारक
सुंदरीकरण 1.96 1.96

पर्यटन आवासों
के उच्चीकरण 1.14 1.14

स्वदेश दर्शन
योजना 55.22 11.03

हवाई पट्टी
विस्तारीकरण 92.66 49.60

सड़कों के निर्माण हेतु 137.41 34.50

इन योजनाओं में आवंटित हुए बजट और मिली धनराशि अभी तक लगभग अरबों में हो चुकी है परंतु इनका सदुपयोग धरातल पर हाल फ़िलहाल नज़र नहीं आता। ये सारी योजनाएं मोटे तौर पर शामिल की गई हैं इसके आलावा कई सारे ऐसे प्रमुख स्थान हैं धर्म क्षेत्र में जिनकी कोई सुध अभी तक नहीं ली गई और उन स्थानों पर विकास की दस्तक कब होगी यह एक यक्ष प्रश्न बन चुका है। मसलन राम शैय्या, स्फटिक शीला, देवांगना पम्पापुर, भरतकूप, शबरी जल प्रपात हनुमान धारा आदि ऐसे स्थान हैं उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश के बीच स्थित हैं और दोनों राज्यों में भाजपा की ही सरकार है। मध्य प्रदेश में तो कई वर्षों से बीजेपी सत्ता सुख भोग रही है लेकिन अपने हिस्से में पड़ने वाले चित्रकूट के धार्मिक स्थलों का समुचित विकास वहां की सरकार आज तक न करवा पाई। यूपी में तो अभी डेढ़ वर्ष ही हुए हैं और विकास योजनाओं की घोषणाओं में तेजी तो दिखाई जा रही है अब देखना यह होगा कि वास्तविकता में कितना कार्य धरातल पर संपन्न होता है।

क्या कहते हैं अधिकारी

विकास योजनाओं को लेकर अपने वर्तमान कार्यकाल के दौरान सजग नजर आ रहे जिलाधिकारी विशाख जी अय्यर का कहना है कि जो भी कार्य अधूरे हैं पर्यटन विकास को लेकर उनकी पूरी सूची तैयार करवाई गई है। अभी उनकी तैनाती को 3 माह हुए हैं लेकिन विकास योजनाओं का खाका और खासतौर पर जो योजनाएं विलम्बित हैं उन पर खास ध्यान देते हुए उन्हें जल्द पूरा करने का प्रयास शुरू किया जा रहा है।

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