अपने अपने गांवों में रौशनी लाने के लिए ग्रामीण आमरण अनशन पर बैठे हैं. अनशनकारी अपने इलाकों में आजादी के बाद से अभी तक बिजली न पहुंचने से शायद उतने क्षुब्ध नहीं जितना वर्तमान केंद्र सरकार के गांव गांव बिजली पहुंचा देने के दावों के बावजूद अंधेरे में जिंदगी गुजारने को लेकर हैं। जिला पंचायत सदस्य के नेतृत्व में बैठे ग्रामीणों का एलान है कि अब आर पार की लड़ाई व्यवस्था से होगी यदि मांगे नहीं मानी गई तो।
आजादी के बाद से अब तक अंधेरा आजादी के बाद से अब तक अंधेरे में उजाले की उम्मीद लगाए बैठे कोढ़न पुरवा नौबस्ता बंबिहा, कुसमुही मैनहा आदि दर्जन भर से अधिक गांवों के ग्रामीण किसान नेता व् जिला पंचायत सदस्य अनिल प्रधान के नेतृव में इस मांग के साथ आमरण अनशन पर बैठे हैं कि उनके गांवों में जल्द से जल्द विद्युतीकरण किया जाए, ग्रामीणों का कहना है कि विद्युत् विभाग ने बड़े गांवों में उजाला कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली। उसके आस पास के कई गांवों की याद नहीं की जबकि सरकार व् प्रशासन के नुमाइंदे गांव गांव बिजली पहुंचाने को लेकर ताल ठोंक रहे हैं।
नहीं हुई कोई सुनवाई आमरण अनशन पर बैठे अनिल प्रधान ने कहा कि अभी हफ्ते भर पहले कलेक्ट्रेट परिसर में डीएम को सम्बंधित ज्ञापन सौंपा गया था समस्याओं को लेकर और आश्वासन भी दिया गया था लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई, अनशनकारियों के अनुसार बार बार इस तरह की लापरवाही से वे आजिज आकर अब इस भीषण गर्मी में आमरण अनशन को मजबूर हैं और ये तब तक जारी रहेगा जब तक कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लिया जाता। आंदोलनकारियों के मुताबिक पाठा क्षेत्र में विद्युत् व्यवस्था हमेशा चरमराई रहती है परन्तु कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता।