बच्चों के हाथ में मोबाइल थमाने से पहले अभिभावकों को भी यह जान लेना चाहिए कि इससे क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं। दरअसल बच्चों के ब्रेन की हड्डी कमजोर होती है और यही वजह है कि रेडिएशन उनमें गहराई तक चला जाता है और कोशिकाओं को जल्दी नष्ट करता है। नाजुक होने के कारण बड़ों के मुकाबले बच्चे इसके शिकार जल्दी हो जाते हैं। यही नहीं मोबाइल का ज्यादा उपयोग क्रॉनिक और लम्बी बीमारियां भी पैदा कर देता है। इसकी तरंगे धीरे-धीरे शरीर के मेटाबॉलिक सिस्टम को कमजोर कर देती हैं।
मोबाइल या कम्प्यूटर की स्क्रीन को अधिक समय तक देखने के कारण आंखों पर सीधा असर पड़ता है और लम्बे समय तक यह सिलसिला जारी रहने पर आंखों में आंसू बनने की प्रक्रिया समाप्त होने लगती है। कई मामलों में तो आंखों का कैंसर भी हो जाता है, लेकिन यह एक लाख लोगों में एक या दो को ही होता है। प्राय: देखने में आता है कि बच्चे और युवा दिन भर मोबाइल पर चेटिंग करते हैं। वीडियो गेम खेलते हैं, इससे मोबाइल से निकलने वाली किरणें आंखों में सूखापन पैदा करती है। बच्चों में बढ़ रहे मोबाइल के शौक पर समय रहते अंकुश नहीं लगा तो भविष्य में इसके घातक परिणाम सामने आ सकते हैं।