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सावधान! आपकी आंखों का भी सूख सकता है पानी

locationचित्तौड़गढ़Published: Dec 02, 2020 11:45:05 am

Submitted by:

jitender saran

मोबाइल के बेजा उपयोग से आंख का पानी ही नहीं सूखता बल्कि कई मामलों में आंख में ‘यूविएल मेलेनोमाÓ यानी आंख का कैंसर भी हो सकता है। अब तक हुए सभी शोध में बच्चों पर इसका सबसे ज्यादा प्रभाव पडऩे की बात सामने आई है। कोरोना काल में घर-घर में मोबाइल का अत्यधिक उपयोग किया जा रहा है, जिसके देर-सवेर दुष्परिणाम सामने आ सकते हैं।

सावधान! आपकी आंखों का भी सूख सकता है पानी

सावधान! आपकी आंखों का भी सूख सकता है पानी

चित्तौडग़ढ़
मोबाइल का जरूरत से ज्यादा उपयोग करने पर माइग्रेन के अलावा दिमाग की कोशिकाएं सीधे तौर पर प्रभावित होती है। एक लाख में एक या दो लोगों को ‘यूविएल मेलेनोमाÓ तक हो सकता है या जो लोग पहले ही कैंसर से पीडि़त हैं, उनमें मोबाइल का ज्यादा उपयोग रोग को बढावा दे सकता है। जर्मनी और अमरीका में अब तक हुए शोध में यह बात सामने आ चुकी है कि बड़ों के मुकाबले बच्चे सेल फोन की तरंगों से ज्यादा प्रभावित होते हैं। हालाकि ईएम रेडिएशन जो घर, जमीन, कम्प्यूटर और मोबाइल से निकलता है, इसे मस्तिष्क रजिस्टर्ड कर लेता है और इस रेडिएशन से लडऩे की क्षमता भी रखता है, लेकिन दिमाग भी हमेशा ऐसा नहीं कर पाता।
मोबाइल से निकलने वाली तरंगे सीधे मस्तिष्क को ही प्रभावित करती है। ऐसे में मृत कोशिकाओं की मरम्मत और नई कोशिकाएं बनाने में भी दिक्कत आती है।
अभिभावक भी यह जान लें
बच्चों के हाथ में मोबाइल थमाने से पहले अभिभावकों को भी यह जान लेना चाहिए कि इससे क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं। दरअसल बच्चों के ब्रेन की हड्डी कमजोर होती है और यही वजह है कि रेडिएशन उनमें गहराई तक चला जाता है और कोशिकाओं को जल्दी नष्ट करता है। नाजुक होने के कारण बड़ों के मुकाबले बच्चे इसके शिकार जल्दी हो जाते हैं। यही नहीं मोबाइल का ज्यादा उपयोग क्रॉनिक और लम्बी बीमारियां भी पैदा कर देता है। इसकी तरंगे धीरे-धीरे शरीर के मेटाबॉलिक सिस्टम को कमजोर कर देती हैं।
ऐसे सूख जाता है आंख का पानी
मोबाइल या कम्प्यूटर की स्क्रीन को अधिक समय तक देखने के कारण आंखों पर सीधा असर पड़ता है और लम्बे समय तक यह सिलसिला जारी रहने पर आंखों में आंसू बनने की प्रक्रिया समाप्त होने लगती है। कई मामलों में तो आंखों का कैंसर भी हो जाता है, लेकिन यह एक लाख लोगों में एक या दो को ही होता है। प्राय: देखने में आता है कि बच्चे और युवा दिन भर मोबाइल पर चेटिंग करते हैं। वीडियो गेम खेलते हैं, इससे मोबाइल से निकलने वाली किरणें आंखों में सूखापन पैदा करती है। बच्चों में बढ़ रहे मोबाइल के शौक पर समय रहते अंकुश नहीं लगा तो भविष्य में इसके घातक परिणाम सामने आ सकते हैं।
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