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जोधपुर में 500 के पार पहुंचा डेंगू मरीजों का आंकड़ा, 23 नए मरीज आए सामने

जिले में डेंगू मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इस सीजन में डेंगू मरीजों की संख्या 500 से ऊपर पहुंच गई है।

जोधपुरOct 14, 2016 / 12:07 pm

Nidhi Mishra

dengue patients

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जिले में डेंगू मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इस सीजन में डेंगू मरीजों की संख्या 500 से ऊपर पहुंच गई है। गुरुवार को भी अस्पतालों में 23 नए डेंगू मरीज सामने आए। अस्पतालों में डेंगू के मरीज बढ़ लगातार बढ़ रहे हैं और अस्पतालों में प्लेटलेट्स (आरडीपी-एसडीपी) की मांग भी बढ़ रही है। इस बीच गुरुवार सुबह महात्मा गांधी अस्पताल के ब्लड बैंक की एसडीपी मशीन फिर से खराब हो गई। पूरे दिन डेंगू मरीजों के लिए एमजीएच में एसडीपी तैयार नहीं हो पाई। मरीजों को उम्मेद अस्पताल ब्लड बैंक व निजी ब्लड बैंकों का रुख करना पड़ा। अस्पताल प्रशासन ने इंजीनियर को बुलवाया और शाम करीब 6 बजे मशीन ठीक हो पाई। तब जाकर फिर से एसडीपी तैयार होना शुरू हो पाया। 
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डेंगू, चिकनगुनिया ने बढ़ाए नारियल, गिलोय के भाव

डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों के मरीज बढऩे और लोगों में खौफ बढऩे के साथ ही पावटा सब्जी मण्डी में नारियल, कीवी, गिलोय और पपीते की मांग के साथ भाव भी बढ़ गए हैं।आयुर्वेद में एेसी मान्यता है कि कीवी और नारियल पानी के सेवन से मरीज के ब्लड प्लेटलेट्स में वृद्धि होती है। डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीजों के लिए गिलोय का काढ़ा फायदेमंद होता है।
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एेसे बढ़े फलों के भाव

पावटा सब्जी मण्डी में फल विक्रेता अमन इसरानी ने बताया कि नारियल, पपीता और कीवी की बिक्री बढ़ी है। एक सप्ताह पहले तक नारियल 15 रुपए में मिल रहा था, अब इसका भाव 30 रुपए बताया जा रहा है। शहर में कई जगह पानी वाला नारियल 40 रुपए में बिक रहा है। कीवी प्रति फल 15 रुपए तक बिक रहा था जो अब 20 से 30 रुपए प्रति फल हो गया है। पपीता भी 15 रुपए प्रतिकिलो से बढ़कर 30 से 40 रुपए किलो हो गया है।
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प्लेटलेट्स देने से डरें नहीं

राजकीय पावटा अस्तपाल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. पवन पुरोहित का कहना है कि डेंगू को लेकर ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है। कई बार डेंगू के प्रारम्भिक लक्षणों पर भी रिपोर्ट पॉजिटिव आती है और लोग ठीक हो जाते हैं। जैसे-जैसे डेंगू के मामले बढ़ते हैं, प्लेटलेट्स की मांग बढऩे लगती है। आमतौर पर लोग रक्त देने से परहेज नहीं करते पर प्लेटलेट्स देने के नाम पर पीछे हट जाते हैं। स्वस्थ व्यक्ति के रक्त में से मशीन के जरिए प्लेटलेट्स अलग किए जाते हैं और रक्त वापस स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में डाल दिया जाता है। आजकल अस्पतालों में मौजूद इम्यूनो सेपरेशन मशीनें तकनीक के मामले में न सिर्फ उन्नत हैं, बल्कि पूरी तरह सुरक्षित भी हैं।
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