किस लिए ठंडे बस्तें में चला गया 13 अरब के खाद का कारखाना
जनसुनवाई में हुई आपत्तियों का नहीं हुआ निराकरण,बिलिया में लगना था, जनसुनवाई में हुआ था विरोधविकास को गति मिलने की उम्मीद को झटका
किस लिए ठंडे बस्तें में चला गया 13 अरब के खाद का कारखाना
चित्तौडग़ढ़. समीपवर्ती नगरी गांव में प्रस्तावित १३ अरब रुपए से अधिक की लागत से खाद कारखाने का प्रस्ताव अब ठंडे बस्ते में है। करीब छह माह पूर्व हुई पर्यावरण स्वीकृति को लेकर जनसुनवाई में आपत्तियों के कारण प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया है। इससे क्षेत्र के विकास को गति मिलने की उम्मीद को झटका लगा है। हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड की ओर से बिलिया गांव में 1.02 मिलीयन टन प्रतिवर्ष की क्षमता वाली फर्टीलाइजर परियोजना का प्रस्ताव किया गया था। इस प्रस्ताव पर पर्यावरण स्वीकृति जारी करने के लिए इस वर्ष १२ फरवरी को बिलिया में राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल की ओर से जनसुनवाई हुई थी। इस दौरान वहां हंगामे और विरोध के कारण प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने पर्यावरण स्वीकृति जारी नहीं करने की अनुंशसा की। सूत्रों के अनुसार मंडल के तत्कालीन क्षेत्रीय अभियन्ता व जिला प्रशासन के अधिकारियों की ओर से भेजी गई रिपोर्ट के बाद अब तक कोई कार्रवाई ही नहीं हुई। मामले की तथ्यात्मक रिपोर्ट केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय को भेज दी गई थी। इसके बाद खाद कारखाने का प्रस्ताव दिल्ली की फाइलों में सिमट गया। जनसुनवाई के करीब छह माह बाद भी जनसुनवार्ई में आई आपत्तियों का निराकरण नहीं होने से मामला प्र्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया है। इस मामले में प्रशासन के अधिकारी भी खुुलकर कुछ नहीं बोलना चाहते। प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अधिकारी भी जो स्थिति सामने आर्ई उसकी तथ्यात्मक रिपोर्ट आगे भेजने का तर्क देकर चुप्पी साध रहे है।
जनप्रतिनिधियों ने की थी आपत्ति
बिलिया में जनसुनवार्ई के समय कर्ई लोगों ने कारखाना लगााने के प्रस्ताव को नियम विरूद्ध बता विरोध जताया। उनका आरोप था कि जिंक ने ग्रीन बेल्ट विकसित नहीं किया। जनसुनवाई में चित्तौडग़ढ़ विधायक चन्द्रभानसिंह आक्या,बेगूं विधायक राजेन्द्रसिंह विधूड़ी, कपासन से कांग्रेस प्रत्याशी रहे आंनदीराम खटीक सहित कई राजनेता मौजूद थे। विधायक आक्या एवं विधूडी दोनों ने खाद कारखाने के लिए पर्यावरण स्वीकृृति जारी करने के प्रस्ताव का विरोध किया।
क्या था खाद कारखाने का प्रस्ताव
हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड ने बिलिया गांव में १.०२ मिलीयन टन प्रतिवर्ष की क्षमता वाली फर्टीलाइजर परियोजना का प्रस्ताव किया था। अमोनियम फॉस्फेट फर्टीलॉइजर-केमिकल फर्टीलॉइजर कॉम्पलेक्स के नाम से प्रस्तावित प्रोजेक्ट के प्रथम चरण में करीब १३ अरब ५० करोड़ रुपए की लागत आनी थी। कंपनी ने परियोजना प्रस्ताव में दावा किया है कि इसके माध्यम से करीब १५०० प्रशिक्षित एवं अप्रशिक्षित लोगों को रोजगार मिलेगा। प्रोजेक्ट के तहत सल्फ्यूरिक एसिड के माध्यम से रॉक फॉस्फेट तैयार किया जाने का प्रस्ताव था।
हम विकास के विरोधी नहीं
हम कभी विकास के विरोधी नहीं है। हम भी चाहते है क्षेत्र का औद्योगिक विकास हो। जनसुनवाई के समय भी हमारी यहीं मांग थी कि क्षेत्र में कारखाना लगे तो उसमें स्थानीय लोगों को रोजगार मिले एवं किसी तरह का प्रदूषण नहीं फैले। आपत्तियां भी इसी बात पर की गई थी।
चन्द्रभानसिंह आक्या, विधायक, चित्तौडग़ढ़
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