रोडवेज के चालक-परिचालक आमजन के सीधे सम्पर्क में आते है। इसके अलावा बुकिंग पर बैठे कर्मचारी का भी यहीं हाल है। रोडवेज बस में सफर के दौरान कई जनें मास्क नहीं लगाते तो कई सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल नहीं रखते। परिचालक उनके सम्पर्क में आते है। एेसे में कोरोना फैला तो यह लापरवाही भारी पड़ेगी।
देश समेत प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर कोहराम मचा रही है। संक्रमितों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। एेसे में कोरोना से बचाव जरूरी हो गया है। चिकित्सा विभाग को याद नहीं आई तो चित्तौडग़ढ़ आगार प्रबंधन को पत्र लिखना पड़ा। मुख्य आगार प्रबंधक ने चिकित्स विभाग को पत्र लिखकर रोडवेज कर्मचारियों को वैक्सीनेशन की डोज लगाने का आग्रह किया।
पिछले साल लॉकडाउन के समय दूर-दराज के प्रदेशों में रहने वाले श्रमिकों को उनके गांव तक पहुंचने के लिए सरकार ने रोडवेज का सहारा लिया। महाराष्ट्र, बिहार, उत्तरप्रदेश समेत कई राज्यों में रोडवेज की स्पेशल बस चलाकर श्रमिकों को भेजा गया। उस समय सरकार को रोडवेज की याद आ गई। लेकिन वैक्सीनेशन के समय उनको भूला दिया गया।
इनका कहना है
रोडवेज के कई कर्मचारी ४५ साल से नीचे है। रोजाना सैकड़ों लोगों के सम्पर्क में आते है। सरकार ने फ्रंट लाइन वर्कर नहीं माना। नियम के मुताबिक इनको डोज नहीं लग सकती। एेसे में विशेष शिविर लगाकर इनको डोज लगाने की जरूरत है। इसके लिए चिकित्सा विभाग को पत्र लिखा गया है।
ओमप्रकाश चेचाणी, मुख्य प्रबंधक, चित्तौडग़ढ़ आगार