राष्ट्र-संत महोपाध्याय ललितप्रभ सागर एवं डॉ. शांतिप्रिय सागर का चित्तौडग़ढ़ आगमन बुधवार को होगा। इन संतों के चित्तौडग़ढ़ में 26 व 27 फरवरी को प्रतापनगर में कन्या गुरुकुल के पास रात 8 से ९.३० बजे तक जीने की कला का संदेश देने वाले विशेष प्रवचन होंगे। संतगण इस सत्संगमाला के जरिए जन-मानस को जीवन-निर्माण तथा व्यक्तित्व-विकास के गुर सिखाएंगे। राष्ट्रसंत 4 साल बाद पदयात्रा करते हुए चित्तौडग़ढ़ आ रहे हैं। अब तक देश के 21 राज्यों के लाखों लोग इन राष्ट्र-संतों के प्रभावी प्रवचनों का लाभ उठा चुके हैं। जोधपुर से हैदराबाद चातुर्मास के लिए पदयात्रा करते हुए वे चित्तौडग़ढ़ आ रहे हैं।
मुनि ने कहा कि मन में दूषित विचार की लहर उठे तो तत्काल उसकी दिशा बदल दीजिए। अगर ये लहरें सुनामी का रूप ले बैठी तो जीवन का जहाज ही डूब जाएगा। स्वर्ग के रास्ते पर कदम बढ़ाने के लिए अपना स्वभाव अच्छा बनाइए। डाँटना तभी चाहिए जब कोई एक ही गलती को तीन बार दोहरा बैठे। चिंता और उत्तेजना की आग का त्याग कीजिए। आखिर किसी भी जलती डाल पर शांति की चिडिय़ा नहीं बैठा करती।इससे पूर्व संत ललितप्रभ महाराज और मुनि शांतिप्रिय सागर महाराज के राणकपुर मार्बल पहुंचने पर श्रावक-श्राविकाओं द्वारा स्वागत और अभिनंदन किया गया। प्रवचन कार्यक्रम में शांतिलाल राठौड, कांतिलाल राठौड़, संजय राठौड, सुनील गांधी, अशोक पोखरना आदि मौजूद थे।