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चित्तौड़गढ़

किस संत ने कहा मान लिया तो हार है और ठान लिया तो जीत

चार वर्ष बाद चित्तौडग़ढ़ आएंगे संत ललितप्रभ सागरआजौलिया का खेड़ा औद्योगिक क्षेत्र में दिए प्रवचन

चित्तौड़गढ़Feb 25, 2020 / 10:33 pm

Nilesh Kumar Kathed

किस संत ने कहा मान लिया तो हार है और ठान लिया तो जीत

किस संत ने कहा मान लिया तो हार है और ठान लिया तो जीत


चित्तौडग़ढ़. राष्ट्रसंत ललितप्रभ महाराज ने कहा कि यह न सोचें कि कितने दिन जिए, बल्कि यह सोचें कि कैसे जिए। खुशियों भरा एक लम्हा भी खज़़ाने जैसा लगता है पर गम भरा एक साल भी अंधेरी गुफा में भटकने जैसा लगता है। जि़दगी जीने का मकसद खास होना चाहिए। अपने आप पर हमें विश्वास होना चाहिए। उन्होंने मंगलवार को आजौलिया का खेड़ा क्षेत्र में एक औद्योगिक प्रतिष्ठान पर आयोजित प्रवचन कार्यक्रम में ये संदेश दिया। मुनि बुधवार को दिवसीय प्रवास पर चित्तौडग़ढ़ प्रवेश करेंगे। वे जीने की कला पर प्रवचन देंगे। प्रवचन में ललितप्रभ सागर ने कहा कि जीवन में खुशियों की कमी नहीं है, बस उन्हें मनाने का सही अंदाज़ होना चाहिए। हर समय इतने व्यस्त रहिए कि चिंता करने की फुर्सत ही न मिले। स्वयं प्रसन्न रहेंगे तो लोगों को भी प्रसन्न करने में कामयाब हो जाएँगे। उदास रहेंगे तो सारा माहौल गमगीन होने लग जाएगा। उन्होंने कहा कि हार और जीत का सम्बन्ध हमारी सोच पर है मान लिया तो हार होगी और ठान लिया तो जीत। कोई आपके खिलाफ दो टेढ़े शब्द बोले तो बुरा न मानें क्योंकि पत्थर उक्सर उसी पेड़ पर मारे जाते हैं जिस पर मीठे फल लदे होते हैं। आप जब भी बोलेंए धीमें और धैर्य से बोलें आपकी वाणी औरों के दिलों में प्यार और जिज्ञासा का झरना बहाएगी। शीशा और रिश्ता दोनों एक जैसे होते हैं। पत्थर मारने से शीशा टूटता है और टेढ़ा बोलने से रिश्ता। उन्होंने कहा कि गलती सबसे होती है और गुस्सा सबको आता है फिर बुरा मानने की बजाय क्यों न शांति और सुधार की किरण तलाशी जाए। उन्होंने कहा कि लोग बड़े विचित्र होते हैं खुद से गलती हो जाए तो समझौता चाहते हैं वहीं दूसरों से गलती हो जाए तो इंसाफ की माँग करते हैं। सुधार तब होगा जब हम दोनों के लिए इंसाफ चाहें।
चार वर्ष बाद आज आएंगे चित्तौडग़ढ़
राष्ट्र-संत महोपाध्याय ललितप्रभ सागर एवं डॉ. शांतिप्रिय सागर का चित्तौडग़ढ़ आगमन बुधवार को होगा। इन संतों के चित्तौडग़ढ़ में 26 व 27 फरवरी को प्रतापनगर में कन्या गुरुकुल के पास रात 8 से ९.३० बजे तक जीने की कला का संदेश देने वाले विशेष प्रवचन होंगे। संतगण इस सत्संगमाला के जरिए जन-मानस को जीवन-निर्माण तथा व्यक्तित्व-विकास के गुर सिखाएंगे। राष्ट्रसंत 4 साल बाद पदयात्रा करते हुए चित्तौडग़ढ़ आ रहे हैं। अब तक देश के 21 राज्यों के लाखों लोग इन राष्ट्र-संतों के प्रभावी प्रवचनों का लाभ उठा चुके हैं। जोधपुर से हैदराबाद चातुर्मास के लिए पदयात्रा करते हुए वे चित्तौडग़ढ़ आ रहे हैं।
दूषित विचार आते ही बदल दे मन की दिशा
मुनि ने कहा कि मन में दूषित विचार की लहर उठे तो तत्काल उसकी दिशा बदल दीजिए। अगर ये लहरें सुनामी का रूप ले बैठी तो जीवन का जहाज ही डूब जाएगा। स्वर्ग के रास्ते पर कदम बढ़ाने के लिए अपना स्वभाव अच्छा बनाइए। डाँटना तभी चाहिए जब कोई एक ही गलती को तीन बार दोहरा बैठे। चिंता और उत्तेजना की आग का त्याग कीजिए। आखिर किसी भी जलती डाल पर शांति की चिडिय़ा नहीं बैठा करती।इससे पूर्व संत ललितप्रभ महाराज और मुनि शांतिप्रिय सागर महाराज के राणकपुर मार्बल पहुंचने पर श्रावक-श्राविकाओं द्वारा स्वागत और अभिनंदन किया गया। प्रवचन कार्यक्रम में शांतिलाल राठौड, कांतिलाल राठौड़, संजय राठौड, सुनील गांधी, अशोक पोखरना आदि मौजूद थे।

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