कार्यक्रम में मेवाड़ विश्वविद्यालय की सांस्कृतिक प्रस्तुति होने से पहले ही सरकारी विभागों की झांकियां मंच के सामने आने का दौर शुरू हो गया। इससे कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति होने का भ्रम चलते लोग रवाना होना शुरू हो गए। अब तक गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में झांकिया ही अंतिम प्रस्तुति होती आई है।
इस बार गणतंत्र दिवस मुख्य समारोह में सांस्कृतिक प्रस्तुति के नाम पर औपचारिकता ही अधिक लगी। सामान्यतया चार-पांच स्कूलों व संस्थाओं की प्रस्तुति होती है लेकिन इस बार कुल दो प्रस्तुति हुई। इसी तरह प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों की व्यायाम प्रस्तुति भी अलग- अलग नहीं हुई। सैनिक स्कूल के बच्चों की व्यायाम प्रस्तुति नहीं होना भी चर्चा में रहा।
राष्ट्रीय पर्व होने के बावजूद गणतंत्र दिवस समारोह में जनभागीदारी का अभाव दिखा। कार्यक्रम में मंच पर लगी कुर्सियां खाली थी तो आमजन के नाम पर भी वो ही लोग दिखे जो सरकारी कर्मचारी थे या जिनके परिजन/मित्र सम्मानित होने आए थे।
समारोह संचालन में तारतम्यता का अभाव दिखा। प्रतिभा सम्मान के समय चयनित ७३ प्रतिभाओं का सम्मान होने से पहले मध्य में ही दूसरे कार्यक्रमों में विजेताओं को पुरस्कृत किया जाने लगा। संचालक नाम किसी ओर का पुकार रहे थे और सम्मान मंच पर कोई और दिख रहा था।