मार्बल से ज्यादा ग्रेनाइट ने जगाई उजास, ठप पड़े व्यापार को लगे पंख तो भरी उड़ान
चित्तौडग़ढ़. कोरोना महामारी से लगे लॉकडाउन से उभरे किशनगढ़ के बाद प्रदेश की सबसे बड़ी चित्तौडग़ढ़ की मार्बल मण्डी को पंख लग गए है। ठप पड़े कामकाज का पहिया एक बार फिर घूम गया है। इससे व्यापारियों और श्रमिकों के साथ सीधे रूप से जुड़ा रोजगार चल निकला। हालांकि इस समय मार्बल से ज्यादा गे्रनाइट उजास दे रहा है। ग्रेनाइट की बिक्री ने जोर पकड़ लिया है। इससे व्यापारियों के टर्न ओवर भी बढ़ा है।

चित्तौडग़ढ़. कोरोना महामारी से लगे लॉकडाउन से उभरे किशनगढ़ के बाद प्रदेश की सबसे बड़ी चित्तौडग़ढ़ की मार्बल मण्डी को पंख लग गए है। ठप पड़े कामकाज का पहिया एक बार फिर घूम गया है। इससे व्यापारियों और श्रमिकों के साथ सीधे रूप से जुड़ा रोजगार चल निकला। हालांकि इस समय मार्बल से ज्यादा गे्रनाइट उजास दे रहा है। ग्रेनाइट की बिक्री ने जोर पकड़ लिया है। इससे व्यापारियों के टर्न ओवर भी बढ़ा है।
छह महीने झेली मुश्किल, श्रमिक लौट गए गांव
कोरोना संक्रमण के बाद मार्च में लॉकडाउन लग गया। लॉकडाउन के बाद मार्बल इण्डस्ट्रीज में भी पूरी तरह कामकाज बंद हो गया। फैक्ट्री में सन्नाटा पसर गया। यहां काम करने वाले बिहार, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश समेत कई राज्यों के श्रमिक अपने गांव लौट गए। अनलॉक के बाद व्यापार संचालन की अनुमति से मार्बल मण्डी में भी व्यापार शुरू हो गया। इस समय चित्तौडग़ढ़ और आसपास में करीब सवा सौ मार्बल इकाइयां है। इनमें से सौ से अधिक में काम शुरू हो गया है।
बाहरी श्रमिकों की अब भी समस्या, कुछ लौटे, कुछ का इंतजार
शत-प्रतिशत इकाई नहीं चलने के पीछे बड़ा कारण श्रमिकों की कमी है। लॉकडाउन से पहले बड़ी संख्या में बाहरी श्रमिक काम करते थे। लॉकडाउन के बाद व्यापार बंद हो जाने से अपने-अपने गांव लौट गए। इनमें से कई व्यापार शुरू होने के बाद लौट गए जबकि कई श्रमिकों का इंतजार किया जा रहा है। वर्तमान में स्थानीय श्रमिक ज्यादा है। लॉकडाउन से पहले दस हजार श्रमिक काम करते थे। उसके बाद इस समय करीब साढ़े छह हजार श्रमिक काम कर रहे है। पूरी तरह श्रमिकों के नहीं आने से अभी भी कुछ फैक्ट्रियां शुरू नहीं हो पाई है।
टाइल्स ने कम की डिमाण्ड, ग्रेनाइट ने पकड़ी चाल
मार्बल का व्यापार अभी रफ्तार नहीं पकड़ पाया है। इसका बड़ा कारण सुपर मोल, बड़ी व्यवसायिक कॉम्प्लेक्स, बैंकों में टाइल्स ज्यादा पसंद की जा रही है। इसे लगाने की लागत और अन्य खर्चा कम होने और चमक ज्यादा होने से मार्बल से ज्यादा टाइल्स पर लोगों का रूझान है। जबकि बारसोत समेत अन्य जगहों पर लगाने के लिए ग्रेनाइट को पंसद किया जा रहा है।
इनका कहना है
मार्बल इण्डस्ट्रीज में फिर से काम शुरू हो गया है। लगभग सौ इकाई शुरू हो गई है। कुछ बाहरी श्रमिक नहीं लौटे है। दीपावली के बाद उनके लौटते ही बंद इकाइयां भी शुरू हो जाएगी। व्यवसासियों का टर्न ओवर भी बढ़ा है।
- अरविंद ढिल्लीवाल, अध्यक्ष, औद्योगिक समूह संस्थान, हाजीरिया का खेड़ा
अब पाइए अपने शहर ( Chittorgarh News in Hindi) सबसे पहले पत्रिका वेबसाइट पर | Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें Patrika Hindi News App, Hindi Samachar की ताज़ा खबरें हिदी में अपडेट पाने के लिए लाइक करें Patrika फेसबुक पेज