scriptप्रकृती भी अपनी छटा से करती है मां का श्रृंगार | Nature also adorns the mother with her shade | Patrika News
चित्तौड़गढ़

प्रकृती भी अपनी छटा से करती है मां का श्रृंगार

चित्तौडग़ढ़. मेवाड के चित्तौडगढ जिले का भदेसर उपखंड देवी देवताओं के चमत्कार के लिये जाना जाता है। चाहे कृष्णधाम सांवलिया सेठ हो। माता आसावरा का मन्दिर, भदेसर के भेरूनाथ हों, चाहे अनगढ़ बावजी का मन्दिर। इसी क्रम में आज जिक्र कर रहे हैं मां आसावरा मंदिर का, जो ग्राम पंचायत कंथारिया व रेवलिया खुर्द के मध्य स्थित है।

चित्तौड़गढ़Oct 13, 2021 / 03:11 pm

Avinash Chaturvedi

प्रकृती भी अपनी छटा से करती है मां का श्रृंगार

प्रकृती भी अपनी छटा से करती है मां का श्रृंगार

चित्तौडग़ढ़. मेवाड के चित्तौडगढ जिले का भदेसर उपखंड देवी देवताओं के चमत्कार के लिये जाना जाता है। चाहे कृष्णधाम सांवलिया सेठ हो। माता आसावरा का मन्दिर, भदेसर के भेरूनाथ हों, चाहे अनगढ़ बावजी का मन्दिर। इसी क्रम में आज जिक्र कर रहे हैं मां आसावरा मंदिर का, जो ग्राम पंचायत कंथारिया व रेवलिया खुर्द के मध्य स्थित है। माता आसावरा का मन्दिर और आसपास प्राकृतिक छटा देखते ही बनती है। जानकारो की मानें तो यह मन्दिर सैकड़ों वर्ष पुराना है। जहां पहले एक मिट्टी के कच्चे चबूतरे पर खेजड़ी वृक्ष के नीचे ही माता का विग्रह स्थापित था। ग्रामीण आते व नारियल आगरबत्ती चढ़ा कर अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिये अर्जी लगाते थे। वर्तमान पुजारी हरि सिंह ने बताया कि सर्वप्रथम कंथारिया रेवलिया खुर्द के समस्त ग्राम वासियों द्वारा मिलकर चंदा इक_ा कर मंदिर निर्माण का कार्य करने का विचार किया गया। मंदिर का निर्माण 20 मार्च 1995 को प्रारंभ हुआ। मंदिर निर्माण होने के पश्चात आसपास की समस्त ग्राम पंचायतों के कार्यकर्ताओं के द्वारा मेवाड महामण्डलेश्वर मुंगाना धाम आश्रम के महंत चेतन दास जी महाराज के सानिध्य में कलश स्थापना मूर्ति स्थापना एवं शतचंडी यज्ञ किया गया। जेष्ठ बुद्धि पंचम रविवार 27 मार्च 2021 को प्रात: 7 बजे मूर्ति स्थापना की गई। माता का यह मंदिर अरसे से चमत्कारों के लिए जाना जाता है।
चित्तौड़ से २७ किलोमीटर दूर
माता आसावरा का मंदिर सोनियाणा रेवलिया कला दौलतपुरा के मध्य स्थित पहाड़ी के बीच मे स्थित है। यह स्थान चित्तौडगढ़ से 27 किलोमीटर, कपासन से 25 किलोमीटर, सिंहपुर से 15 किलोमीटर, बानसेन से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दर्शनार्थियों की बड़ी संख्या के बावजूद यहां का रास्ता कच्चा है। यहां के ग्रामीणों द्वारा जनप्रतिनिधियों से डामरीकरण सड़क की मांग की गई है लेकिन फिलहाल अभी रास्ता कच्चा ही है। मंदिर के आसपास काफ ी छायादार पेड़ पौधे लगें हैं एवं काफ ी हरियाली रहती है। खासतौर से इस मौसम में तो यहां की प्राकृतिक छटा देखते ही बनती है।

Home / Chittorgarh / प्रकृती भी अपनी छटा से करती है मां का श्रृंगार

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो