स्कूलों में बच्चों का अध्ययपन कार्य शुरू होने के साथ ही बच्चों की पढ़ाई तो विधिवत शुरू हो गई लेकिन अब तक बच्चों का कोर्स भी करीब ५० प्रतिशत भी नहीं हुआ है। ऐसे में विद्यालयों में अधिकांश बच्चे अभी परीक्षा के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं है। ऐसी स्थिति में बच्चों के समक्ष अचानक सीबीएसई ने परीक्षा का कार्यक्रम घोषित कर दिया जिससे बच्चों की परेशानी और बढ़ गई।
पिछले डेढ साल से ऑनलाइन पढ़ाई करने के बाद स्कूलों के खुलने के साथ ही बच्चों के ऊपर पढ़ाई का बोझ भी बढ़ गया। परीखा नजदीक होने के विद्यालयों में शिक्षिकों ने कोर्स पूरा कराने के लिए एक साथ कई चेप्टर पढ़ाना शरू कर दिया है। वहीं कई विद्यालयों में तो स्कूल समय के बाद भी अतिरिक्त कक्षाएं लगा कर दो से तीन घंटे तक बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। ऐसे में बच्चों के ऊपर इतना बोझ के कारण वे भी तनाव में है।
सीबीएसई ने परीक्षा कार्यक्रम घोषित कर दिया है। इसके तहत १५ नवम्बर से लेकर २२ दिसम्बर तक कक्षा १० एवं १२ की परीक्षएं होगी। हालाकि इस बार कोर्स कम किया है लेकिन वह भी अब तक पूरा नहीं हुआ है।
बच्चों के ऊपर अचानक बढ़े पढ़ाई के बोझ एवं विद्यालय खुलने के कम अंतराल में परीक्षाएं होने से अब अभिभवक भी परेशान है। अभिभावकों का कहना है कि विद्यालय शुरू हुए है तो इतने कम समय में परीक्षाओं का आयोजन बच्चों के हित में नहीं है, ऐसे में परीक्षा के लिए अभी एक दो माह का समय और देना चाहिए था। उनका कहना पड़ रहा है कि बच्चों के साथ-साथ उन्हें भी अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ रही है।
स्कूलें खुली है ऐसे में इतनी जल्दी परीक्षा बच्चों के लिए ठीक नहीं है। पहले कोर्स पूरा होने देना चाहिए था उसके बाद परीक्षा होनी चाहिए।
गरिमा सुखवाल, अभिभावक चित्तौडग़ढ़ विद्यालय १८ माह बाद खुले है। विद्याललयों में बच्चों ने आना शुरू किया है। ऐसे में अभी पढ़ाई का पूरा महौल तैयार नहीं हुआ उसके पहले ही परीक्षा का होना उचित नहीं है। अभी कुछ ओर समय देना चाहिए था।,