देखते ही देखते वहां भीड़ एकत्र हो गई जिससे टकराव के हालात उत्पन्न हो गए। सूचना मिलने पर अतिरिक्त जिला कलेक्टर मुकेश कलाल, उपखण्ड अधिकारी अंशुल आमेरिया, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सरिता सिंह आदि मौके पर पहुंचे और लोगों को समझाया लेकिन बात नहीं बनी। करीब दो घंटे तक की जद्दोजहद के बाद भी लोग विरोध पर ही अड़े रहे और अंतत: रात दस बजे प्रशासन शव को लेकर मृतक के गांव एराल गांव पहुंचा। यहां भी ग्रामीणों ने शव को गांव में लाने का विरोध किया।
पुलिस ने लोगों को घरों से बाहर नहीं निकलने दिया और मृतक के पुत्र को लेकर शमशान लेकर पहुंची और आधी रात को दाह संस्कार किया। अतिरिक्त जिला कलेक्टर ने बताया कि लोगों के मन में जीते जी और मरने के बाद भी कोरोना को लेकर कई भ्रांतिया है जिनमें एक यह भी है कि दाह संस्कार के धुएं से भी संक्रमण फैलता है जबकि सच्चाई इसके विपरीत है कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति के दाह संस्कार से वायरस पूरी तरह नष्ट हो जाता है और धुंए से कोई संक्रमण नहीं फैलता है।