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चित्तौड़गढ़

बात जब चीन की आई तो बोले मार्बल उद्यमी बोले राष्ट्र सबसे पहले

गलवान घाटी में चीन के कायरतापूर्ण हमले में बीस भारतीय सैनिकों की शहादत के बाद देश में बदले माहौल का असर अब चित्तौड़ का मार्बल-ग्रेनाइट उद्योग तक भी महसूस हो रहा है। राष्ट्रभक्ति का जज्बा व्यापार पर हावी हो रहा है। केन्द्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर चीनी एप को प्रतिबंधित करने, कई व्यापार सौदों से चीनी कंपनियों को बाहर करने जैसे कदम उठाने के बाद माहौल बदल गया है। चीन से कई सामग्री आयात करने वाले मार्बल उद्यमी कहने लगे है कि देश के लिए चीन का मोह छोड़ सकते है।

चित्तौड़गढ़Jul 03, 2020 / 10:45 pm

Nilesh Kumar Kathed

बात जब चीन की आई तो बोले मार्बल उद्यमी बोले राष्ट्र सबसे पहले

बात जब चीन की आई तो बोले मार्बल उद्यमी बोले राष्ट्र सबसे पहले

चित्तौडग़ढ़. गलवान घाटी में चीन के कायरतापूर्ण हमले में बीस भारतीय सैनिकों की शहादत के बाद देश में बदले माहौल का असर अब चित्तौड़ का मार्बल-ग्रेनाइट उद्योग तक भी महसूस हो रहा है। कोरोना संक्रमण के कारण गंभीर आर्थिक संकट से घिरे होने के बावजूद राष्ट्रभक्ति का जज्बा व्यापार पर हावी हो रहा है। केन्द्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर 59 चीनी एप को प्रतिबंधित करने, कई व्यापार सौदों से चीनी कंपनियों को बाहर करने जैसे कदम उठाने के बाद माहौल बदल गया है। चीन से कई सामग्री आयात करने वाले यहां के मार्बल उद्यमी कहने लगे है कि वे भी देश के लिए चीन का मोह छोड़ सकते है। सरकार आह्वान करे या जरूरत लगी तो राष्ट्र के लिए वेे व्यवसायिक हित तुरंत छोड़़ देंगे। चित्तौडग़ढ़ में पुराने रीको क्षेत्र व आजोलिया का खेड़ा औद्योगिक क्षेत्र में करीब २५० मार्बल-ग्रेनाइट यूनिट है,जिनके माध्यम से ८०० से एक हजार करोड़ रुपए तक का व्यापार हो रहा है। इनमें से करीब १०० गेंगसा भी है। मार्बल उद्योग अभी पूरी तरह स्वदेशी नहीं हो पाया है। कई वस्तुओं के लिए अब भी विदेश विशेषकर चीन पर निर्भरता बनी हुई है। चीन के खिलाफ बने माहौल व प्रधानमंत्री के स्वेदशी के आह्वान ने मार्बल उद्यमियों की सोच को बदला है। अब चीन पर निर्भरता त्याग स्वदेशी उद्योग विकसित करने की मंशा जता रहे है। इसके लिए शुरू में अपेक्षाकृत कम गुणवत्ता व लागत अधिक होने की स्थिति का सामना करने को भी तैयार है।
किन वस्तुओं के लिए चीन पर अधिक निर्भर मार्बल-ग्रेनाइट उद्योग
मार्बल-ग्रेनाइट उद्योग की चीन पर सर्वाधिक निर्भरता पत्थर कटिंग टूल के मामले में है। डायमंड कटर,ब्लेड सेगमेंट जैसी मशीने है जो चीन की अधिक उपयोग में आती है। मार्बल पॉलिशिंग कार्य के लिए भी पॉलिश बट्टी एब्रेसिव चीन से अधिक मंगाई जाती है। कटिंग के क्षेत्र में कुछ टूल्स में तो अभी ९० प्रतिशत तक चीनी उत्पाद ही हावी है लेकिन उद्यमी कहते है कि छोडऩा पड़ा तो स्वदेशी विकल्प स्वत: विकसित हो जाएगा। अनुमानत: प्रतिवर्ष चीन से २५ से ३० करोड़ रुपए के ऐसे उत्पाद यहां का उद्योग ले रहा है।
स्वदेशी विकल्प होने पर भी क्यों मंगाते चीन से सामान
मार्बल कटिंग के क्षेत्र में कुछ स्वदेशी टूल्स भी है लेकिन उनकी लागत अधिक होने व गुणवत्ता कम होने से उद्यमी चीनी उत्पाद पसंद करते है। चीनी कटर से कटे पत्थर की फिनिशिंग अच्छी होने से भी ग्राहक उसे अधिक पसंद करते है।
चित्तौड़ का मार्बल उद्योग एक नजर में
मार्बल-ग्रेनाइट यूनिट: करीब 250
वार्षिक टर्न ओवर-800 से एक हजार करोड़ रुपए
आजीविका- दस हजार लोगों को रोजगार

हमारे लिए व्यापार से पहले देश

हमारे लिए व्यापार से पहले देश है। डायमंड टूल्स जो हमारी इंडस्ट्री में उपयोग होता है वो चीन से अधिक आता है। कुछ अन्य मशीनरी भी है। यदि चीनी उत्पादों पर रोक लग जाए तो स्वदेशी उद्योग विकसित होगा व रोजगार बढ़ेगा। इससे भारतीय उद्योगों को लाभ होगा।
गोविन्द गदिया, वरिष्ठ मार्बल उद्यमी, चित्तौडग़ढ़
देश से बड़ा हमारे लिए कुछ नहीं

चीन पर मार्बल उद्योग कई मामलों में निर्भर है लेकिन देश से बड़ा हमारे लिए कुछ नहीं है। मार्बल उद्यमी चीनी उत्पादों का त्याग करने के लिए तैयार है। स्वदेशी तकनीक व उपकरण विकसित करेंगे। इससे चीन पर निर्भरता नहीं होकर राष्ट्र की भी प्रगति होंगी।
अरविन्द ढीलीवाल, अध्यक्ष, औद्योगिक समूह संस्थान, आजौलियां का खेड़ा, चित्तौडग़ढ़
चीन के बिना भी हम प्रगति कर सकते

मार्बल इंडस्ट्री पूरी तरह स्वदेशी बनने के लिए तैयार है। कटिंग, सेगमेंट के मामले में चीन पर निर्भर है लेकिन उसका विकल्प निकालेंगे। चीन के बिना भी हम और हमारा उद्योग प्रगति कर सकते ये दुनिया को दिखा देंगे। उद्योग का स्वरूप आने वाले दिनों में बदलेगा।
संजय ढीलीवाल, सचिव, चित्तौडग़ढ़ मार्बल लघु उद्योग संस्थान
आवश्यकता अविष्कार की जननी

आवश्यकता अविष्कार की जननी होती है। मार्बल उद्योग को चीन पर निर्भरता छोडऩी पड़े तो तैयार है। चीन से नहीं आएंगे तो हम खुद ही वो मशीनरी व कटर तैयार करेंगे। शुरू में कुछ मुश्किल आ सकती पर भविष्य में प्रगति की राह तेज होगी और रोजगार भी बढ़ेगा।
गोपालस्वरूप ओझा, अध्यक्ष,चित्तौडग़ढ़ मार्बल लघु उद्योग संस्थान

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