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चित्तौड़गढ़

कहां जान जोखिम में डालकर स्कूल जाते हैं बच्चे

चित्तौडग़ढ़/भदेसर. भादसोड़ा-आकोला मार्ग को जोडऩे वाली विरोली गांव के पास स्थित बांकली नदी की पुलिया इस बार फिर क्षतिग्रस्त हो गई। इससे वाहन चालकों, राहगीरों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्कूल जाते समय बच्चों को इस पुलिया पर डर लगता है। यहां पर लगाए गए पत्थर तक पानी के दबाव से उखड़ गए।

चित्तौड़गढ़Aug 19, 2019 / 11:06 pm

Vijay

chittorgarh

कहां जान जोखिम में डालकर स्कूल जाते हैं बच्चे

चित्तौडग़ढ़/भदेसर. भादसोड़ा-आकोला मार्ग को जोडऩे वाली विरोली गांव के पास स्थित बांकली नदी की पुलिया इस बार फिर क्षतिग्रस्त हो गई। इससे वाहन चालकों, राहगीरों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्कूल जाते समय बच्चों को इस पुलिया पर डर लगता है। यहां पर लगाए गए पत्थर तक पानी के दबाव से उखड़ गए।
क्षेत्र के ग्रामीणों ने बताया कि बांगली सिंचाई परियोजना के मात्र पांच सौ फीट दूरी पर स्थित इस मार्ग पर बांध से पहले ही पुलिया बनी हुई थी, जो काफी नीची तथा पुरानी थी। हर वर्ष पहली बारिश में ही बांध में चादर चल जाती है व पानी के दबाव से पुलिया क्षतिग्रस्त हो जाती है। हर वर्ष इसकी मरम्मत में खर्चा होता है। इस वर्ष तो इस पुलिया की दीवार भी क्षतिग्रस्त हो गई है, वहीं बीच में लगे हुए पत्थर भी उखड गए है। यही हाल कुथणा से भीमखण्ड जाने वाले मार्ग की पुलिया का भी है, यहां पर पिछले दिनों ग्राम पंचायत की ओर से इसकी मरम्मत कराई थी, लेकिन इसकी भी सीसी उखड़ गई। दोनोंं पुलिया से स्कूल जाने और आने में बच्चों को डर लगने लगा है। वहीं रामदेवरा जाने वाले पदयात्रियों को भी परेशानी होती है। ग्रामीणों ने इस पुलिया के नवीनीकरण की मांग की है।
बबराणा. क्षेत्र के रामाखेड़ा नाले का पुलिया टूट जाने से बच्च्े व ग्रामीण जान जोखिम में डालकर नाला पार करने को मजबूर हैं। रामाखेड़ा के 6 0 स्कूली बच्चों को माध्यमिक और हाई स्कूल की पढ़ाई करने तीन किमी दूर बबराणा जाना पड़ता है। बारिश के समय नाला पार करने के लिए अभिभावक बच्चों के साथ आते हैं। स्कूल से घर आने पर वापस नाला पार करवाते हैं। रामाखेड़ा के बच्चे ही नहीं, हर ग्रामीण को चार माह तक समस्या का सामना करना पड़ता है। गांव में कोई बीमार हो या गर्भवती महिला सभी को बारिश में समस्या का सामना करना पड़ता है। ग्रामीणों ने बताया की पढऩा तो चाहतें हैं लेकिन बारिश के समय नाला ज्यादा उफान पर आ जाता हैं तो फिर स्कूल नहीं जा पाते। कम पानी रहता है तो परिजन नाला पार करवा देते हैं। ग्रामीणों ने कई बार प्रशासन से नाले पर पुल बनाने की मांग की लेकिन अब तक किसी ने ध्यान नहीं दिया।

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