scriptवीरों की भूमि पर देश रक्षा के लिए कौन तैयार कर रहा जांबाज | Who is preparing for protecting country on the land of heroes? | Patrika News
चित्तौड़गढ़

वीरों की भूमि पर देश रक्षा के लिए कौन तैयार कर रहा जांबाज

चित्तौडग़ढ़ के सैनिक स्कूल ने बनाई देश में खास पहचानसैनिक स्कूल से निकले छात्र सेनाध्यक्ष पद तक पहुंचेभारतीय सेना में विभिन्न पदों पर सेवाएं दे रहे यहां से निकले छात्र

चित्तौड़गढ़Jul 26, 2019 / 04:02 pm

Nilesh Kumar Kathed

chittorgarh

वीरों की भूमि पर देश रक्षा के लिए कौन तैयार कर रहा जांबाज

चित्तौडग़ढ़. करगिल युद्ध हो या पुलवामा आतंकी हमला देश की सुरक्षा पर जब भी कोई आंच महसूस हुई तो रक्षा करने के लिए भारतीय सेना के जवानों के शौर्य को पूरे देश ने सलाम किया। देश की रक्षा के लिए सेना के इन जांबाजों को तैयार करने में राजस्थान की वीर धरा चित्तौडग़ढ़ में स्थापित सैनिक स्कूल भी अहम भूमिका निभा रहा है। इस स्कूल से शिक्षा प्राप्त कर निकले बच्चें सेना में जाकर देश में कई जगह राष्ट्रसेवा के कार्य में लगे है। यहां से देश को एक सेनाध्यक्ष मिलने के साथ कई शूरवीर यौद्धा मिले है। यहां बच्चों को सेना के अधिकारियों की देखरेख में ही राष्ट्रसेवा के लिए तैयार किया जाता है। यहां राष्ट्र रक्षा के लिए सेना में जाने का सपना पाले देश के विभिन्न क्षेत्रों के छात्र कक्षा 6 से 12 तक पढ़ाई करते है। देश की सेना में एक सेना प्रमुख व दर्जनों उच्च सैन्य अधिकारी देने वाले चित्तौडग़ढ़ सैनिक स्कूल में वर्ष २०१७ में ही कक्षा 12वीं में अध्ययनरत 27 छात्रों का राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में प्रशिक्षण के लिए चयन हुआ था। केन्द्रीय रक्षा मंत्रालय ने सात अगस्त 1961 को देश में पहले पांच सैनिक स्कूलों की स्थापना के समय एक सैनिक स्कूल की स्थापना चित्तौडगढ़़ में की थी। चित्तौडगढ़़ का ये स्कूल करीब तीन वर्ष पहले झुंझुंनूं में सैनिक स्कूल खुलने से पहले राज्य का एक मात्र सैनिक स्कूल था। सैनिक स्कूल में वर्तमान में 587 छात्र अध्ययनरत है। यहां हर वर्ष करीब 100 छात्रों को कक्षा 6 व 9 में राष्ट्र्रीय स्तर की प्रवेश परीक्षा के माध्यम से प्रवेश मिलता है।
स्कूल के प्रवेश द्वार पर लगा करगिल युद्ध में उपयोग किया टेंक
यहां प्रशिक्षण पाने वाले बच्चे सेना के अधिकारियों के नेतृत्व में स्कूल स्टॉफ के कड़े अनुशासन के साथ शारीरिक प्रशिक्षण व श्रेष्ठ अकादमिक ज्ञान देकर देश की सेवा के लिए तैयार कर रहे हैं। स्कूल में पढऩे वाले छात्रों के मन में सैन्य गौरव का अहसास कराने वाले हर कार्य यहां होते हैं। स्कूल के प्रवेश द्वार पर तैनात करगिल युद्ध में उपयोग किए गए टैंक को देखकर ही राष्ट्रसेवा के लिए सेना में जाने का जज्बा मन में जागृत होता है। यहां के गौरवशाली इतिहास के कारण केन्द्र व राज्य सरकार ने प्रदेश का पहला सैनिक स्कूल स्थापित करने की स्वीकृति दी।
देश को दिए कई सेनानायक
स्थापना के बाद से ही इस सैनिक स्कूल ने देश की थल, जल व वायु सेना को बेहतरीन क्षमता वाले सैन्य अधिकारी दिए। चित्तौडगढ़़ सैनिक स्कूल में पढ़कर जनरल दलबीरसिंह सुहाग देश की सेना में सर्वोच्च पद पर पहुंचे। वहीं लेफ्टिनेंट जनरल मांधाता सिंह, लेफ्टिनेंट जनरल एटी पारनायक, लेफ्टिनेंट जनरल केजे सिंह, लेफ्टिनेंट जनरल नरेन्द्रसिंह सहित कई अधिकारी चित्तौडग़ढ़ सैनिक स्कूल में पढ़ चुके हैं। इनके अलावा अब तक कई ब्रिगेडियर, मेजर, मेजर जनरल, कर्नल, लेफ्टिनेंट कर्नल, कंपनी कमांडर आदि रैंक के करीब 1200 से ज्यादा सैन्य अधिकारी इसी सैनिक स्कूल में पढ़े हैं।देश के 65वें गणतंत्र दिवस पर चित्तौडग़ढ़ सैनिक स्कूल को राष्ट्र के प्रति सेवा और समर्पण के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार मिल चुका है। ये पुरस्कार 26 जनवरी 2014 को आयोजित राष्ट्रीय समारोह में राष्ट्रपति ने प्रदान किया था।

Home / Chittorgarh / वीरों की भूमि पर देश रक्षा के लिए कौन तैयार कर रहा जांबाज

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो