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चित्तौड़गढ़

किस लिए पहली बार जिले में होगा प्रतिपक्ष का पलड़ा भारी

विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने वाली है लेकिन जिले में पांच में से तीन सीट जीतने वाले इस बार भाजपा का पलड़ा भारी होगा।

चित्तौड़गढ़Dec 15, 2018 / 10:32 pm

Nilesh Kumar Kathed

chittorgarh

किस लिए पहली बार जिले में होगा प्रतिपक्ष का पलड़ा भारी



चित्तौडग़ढ़. विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने वाली है लेकिन जिले में पांच में से तीन सीट जीतने वाले इस बार भाजपा का पलड़ा भारी होगा। जिले में ये पहला मौका होगा जब राज्य में सरकार किसी ओर दल की होगी और यहां विधायकों का पलड़ा किसी और दल का भारी होगा। अब तक जिस दल का राज रहा उस दल के ही विधायक जिले में अधिक संख्या में रहे। जिले में वर्ष १९५२ से अब तक १५ बार विधानसभा चुनाव हो चुके है लेकिन एक भी मौका ऐसा नहीं आया जब राज्य में जिस दल की सरकार थी उसके विधायक बहुमत में नहीं थे। जिले में वर्ष १९५२ से १९९३ के ुचुनाव तक सामान्यतया जिस दल की राज्य में सरकार थी अधिकतर उसी दल के विधायक निर्वाचित हो रहे थे। वर्ष १९९८ के चुनाव में ऐसा मौका आया था जब राज्य कांग्रेस सरकार के दौरान चित्तौडग़ढ़ जिले की सात सीटों में से भाजपा केवल एक सीट कम तीन पर ही रह जाने से विधायकों के बहुमत में नहीं आ पाई। उस समय चार विधायक कांग्रेस के निर्वाचित हुए थे। वर्ष २००३ में भाजपा सरकार के दौरान जिले की सात में से छह सीट पर पार्टी के विधायक निर्वाचित हुए थे।
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पिछले दो चुनाव से आ रहे थे एकतरफा फैसला
वर्ष २००८ एवं वर्ष २०१३ के चुनाव में एकतरफा फैसला आया हॉलाकि मतदाताओं ने साथ उसी दल का दिया जिसने राज्य में सरकार बनाई। जिले में वर्ष २००८ में सभी पांच विधायक कांग्रेस तो वर्ष २०१३ में सभी पांच विधायक भाजपा के निर्वाचित हुए थे।
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क्या हो सकता असर
जिले में पहली बार सत्ताधारी दल के विधायकों का बहुमत नहीं होने का असर विकास कार्यों पर पडऩे की आशंका है। सामान्यतया प्रतिपक्षी दल के विधायक सरकार पर विकास कार्यों में भेदभाव करने का आरोप लगाते रहे है। ऐसे में इस बात की भी आशंका है कि इस बार जिले में प्रतिपक्ष के विधायक अधिक निर्वाचित होने का असर विकास की नई सौगाते मिलने और नई परियोजनाएं देने पर हो सकता है।
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बदलाव से प्रशासनिक तंत्र में बढ़ी बैचेनी
विधानसभा चुनाव नतीजे आने के बाद राज्य में सत्ता बदलाव तय होते ही प्रशासनिक हलके में बैचेनी का माहौल है। ये तय माना जा रहा है कि कांग्रेस के नई सरकार के कार्य संभालते ही प्रशासनिक व पुलिस तंत्र में बड़े पैमाने पर फेरबदल हो सकता है। कुछ माह बाद ही लोकसभा चुनाव की आदर्श आचार संहिता लगने की संभावना के चलते दिसम्बर-जनवरी में ही तबादलों का ये कार्य हो सकता है।

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