scriptमंदिरों में आशीष के लिए आते रहे भक्त पर क्यों नहीं सार्वजनिक आयोजन | Why no public event on devotees coming to the temples for blessing | Patrika News
चित्तौड़गढ़

मंदिरों में आशीष के लिए आते रहे भक्त पर क्यों नहीं सार्वजनिक आयोजन

कोरोना संक्रमण खतरे के बीच रविवार को गुरू पूजा का पवित्र पर्व गुरू पूर्णिमा मनाया गया। अधिकतर लोगों ने घरों में रहकर ही गुरू भक्ति व पूजा की। प्रमुख मंदिर अभी बंद है पर वहां के संतों व महन्तों की पूजा के लिए भक्तदिन भर आते रहे। गुरू पूजा के सार्वजनिक आयोजन व भंडारे नहीं हुए। चित्तौड़ दुर्ग स्थित कालिका माता मंदिर में महन्त रामनारायण पुरी, नीलकंठ महादेव मंदिर के महन्त जगन्नाथ भारती, हजारेश्वर महादेव मंदिर के महन्त चन्द्रभारती आदि के दर्शनों व पूजा के लिए भक्त आते रहे।

चित्तौड़गढ़Jul 05, 2020 / 10:59 pm

Nilesh Kumar Kathed

मंदिरों में आशीष के लिए आते रहे भक्त पर क्यों नहीं सार्वजनिक आयोजन

मंदिरों में आशीष के लिए आते रहे भक्त पर क्यों नहीं सार्वजनिक आयोजन

चित्तौडग़ढ़. कोरोना संक्रमण खतरे के बीच रविवार को गुरू पूजा का पवित्र पर्व गुरू पूर्णिमा मनाया गया। अधिकतर लोगों ने घरों में रहकर ही गुरू भक्ति व पूजा की। हालांकि प्रमुख मंदिर अभी बंद है पर वहां के संतों व महन्तों की पूजा के लिए भक्तदिन भर आते रहे। कोरोना संकट के चलते इस बार गुरू पूजा के सार्वजनिक आयोजन व भंडारे नहीं हुए। चित्तौड़ दुर्ग स्थित कालिका माता मंदिर में महन्त रामनारायण पुरी, नीलकंठ महादेव मंदिर के महन्त जगन्नाथ भारती, हजारेश्वर महादेव मंदिर के महन्त चन्द्रभारती, रामद्वारा के संत रमताराम महाराज आदि के दर्शनों व पूजा के लिए भक्त आते रहे। गायत्री शक्तिपीठ पर परम्परागत से मनाये जाने वाले गुरूपूर्णिमा पर्व का आयोजन इस वर्ष नही किया गया। घर पर साधना यज्ञ एवं युग साहित्य वितरण किया गया। शाम को घर पर दीप यज्ञ भी किया गया। विधायक चन्द्रभान सिंह आक्या ने आज गुरू पूर्णिमा पर चित्तौडग़ढ़ विधानसभा क्षेत्र के संतजनों, महंतों एवं गुरूजनों से भेंट कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर ही संदेश भेजकर गुरूओं के प्रति मन की भावनाएं जाहिर करने के साथ उनका आशीष प्राप्त किया।
ऑनलाइन गोष्टी में गुरू महिमा पर चर्चा
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर अखिल भारतीय साहित्य परिषद चित्तौडग़ढ़ के तत्वावधान में एक ऑनलाइन विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि डॉक्टर सुशीला लढ़ा ने गुरु की महत्ता बताते हुए कहा कि गुरु स्वयं जलकर अगरबत्ती की तरह शिष्य के जीवन को सुगंधित करते हैं। इसके लिए शिष्य को भी अपनी पात्रता को निरंतर विकसित करने की आवश्यकता है। रामद्वारा के संत दिग्विजय राम ने कहा कि गुरु सदा पूर्ण और शिष्य सदा अपूर्ण रहता है। परिषद के प्रान्त महामंत्री पंकज कुमार झा ने कहा कि बच्चों को अच्छे संस्कार देने की जरूरत है ताकि राष्ट्र निरन्तर प्रगति करें। संचालन राकेश चौधरी ने किया।
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